Baran News: प्रशासन की नाक के नीचे मौत का कारोबार, बारूद के ढेर पर शहर, मौत के साये में दिवाली की तैयारी, जिम्मेदार कौन?
कभी भी एक छोटी सी चिंगारी भीषण हादसे का कारण बन सकती है। प्रशासन की अनदेखी और नियमों की धज्जियां उड़ाता ये कारोबार लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रहा है।
बारां शहर की कई कॉलोनियां आजकल बारूद के ढेर पर बैठी हैं। दीपावली का त्यौहार नज़दीक आते ही, शहर के कई नामी व्यापारी नियमों को ताक पर रखकर अवैध पटाखा फैक्ट्रियां चला रहे हैं। सुतली बम से लेकर रंग-बिरंगे पटाखों तक, सब कुछ आबादी वाले इलाकों में बने गोदामों में जमा हो रहा है। अरबों का ये अवैध कारोबार शहर के लिए एक टाइम बम बन गया है।
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पटाखा माफियाओं का कहर
कभी भी एक छोटी सी चिंगारी भीषण हादसे का कारण बन सकती है। प्रशासन की अनदेखी और नियमों की धज्जियां उड़ाता ये कारोबार लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। बिजली विभाग से लेकर एसडीएम तक, सबकी आंखों के सामने ये सब चल रहा है। यहां तक कि फायर विभाग भी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेता नजर आ रहा है।
मौत के साये में दिवाली की तैयारी
जहां दमकल की गाड़ी भी नहीं पहुंच सकती, वहां दुकानों और गोदामों में धड़ल्ले से पटाखे बेचे जा रहे हैं। अग्निशमन अधिकारी दावा करते हैं कि अभी रिटेल में माल नहीं बेचा जा रहा, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। दुकानों और गोदामों में जगमगाती लाइटें इस बात की गवाह हैं कि नियम 83 की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस नियम के तहत पटाखा दुकानों या गोदामों में बिजली कनेक्शन की अनुमति नहीं है।
दीपावली से पहले बारां में बारूद का खेल
अटरू रोड पर स्थित गोदाम, जिसे लाइसेंस प्राप्त होना चाहिए, वहां भी पटाखे खुलेआम बिजली के साथ रखे हुए हैं। भारी मात्रा में पटाखों का भंडारण, एक बड़े हादसे को न्योता दे रहा है। अग्निशमन अधिकारी का दावा है कि शहर में कोई अवैध गोदाम नहीं है, लेकिन हकीकत में धर्मदा चौराहे पर पुराना गाड़ी अड्डा, शहर के सबसे घनी आबादी वाले इलाके में, एक ऐसा ही गोदाम चल रहा है। यहाँ चोरी-छिपे माल देखा जाता है और शटर इस तरह लगाया जाता है कि किसी को शक न हो। दस फुट ऊंची जगह में बना ये गोदाम, वर्षों से दमकल की पहुंच से दूर, मौत का सामान बेच रहा है।
कब जागेगा प्रशासन ?
ग्राउंड फ्लोर पर स्थित, अलग बिल्डिंग में, बिना बिजली कनेक्शन और चिंगारी पैदा करने वाले उपकरणों के, 12 मीटर सड़क से दूरी पर और दूसरी पटाखा दुकान से 15 मीटर की दूरी पर स्थित दुकानें ही सुरक्षित होती हैं। लेकिन बारां में तो सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया है। दीपावली के समय तो पूरा शहर एक बारूद के ढेर पर बैठा होता है। पुलिस, प्रशासन और अग्निशमन विभाग सब जानते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। कब जागेगा प्रशासन? कब होगी इन अवैध पटाखा कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई? ये सवाल अब हर बारां वासी के मन में है।
रिपोर्ट - सुमरन सिंह