Trendingट्रेंडिंग
वेब स्टोरी

और देखें
वेब स्टोरी

Jaipur News: पूर्व आरसीए अधिकारियों पर लगे सनसनीखेज आरोप, FIR दर्ज

एफआईआर कई आईपीसी धाराओं के तहत दर्ज की गई थी।  जिनमें 409 (आपराधिक विश्वासघात), 419 (छद्मवेश द्वारा धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) शामिल हैं।

Jaipur News: पूर्व आरसीए अधिकारियों पर लगे सनसनीखेज आरोप, FIR दर्ज

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) की समिति ने एसोसिएशन के तीन पूर्व कार्यकारी सदस्यों के खिलाफ कई वित्तीय अनियमितताओं के लिए एफआईआर दर्ज कराई। समिति के संयोजक भाजपा विधायक जयदीप बिहानी ने कहा कि पूर्व आरसीए समिति सदस्यों भवानी समोता, रामपाल शर्मा और राजेश भड़ाना के खिलाफ ज्योति नगर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

इसे भी पढ़िये -

इन धाराओं में एफआईआर

एफआईआर कई आईपीसी धाराओं के तहत दर्ज की गई थी।  जिनमें 409 (आपराधिक विश्वासघात), 419 (छद्मवेश द्वारा धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) शामिल हैं।

बिहानी ने कहा कि आरसीए के वित्त की स्वतंत्र जांच से अनियमितताएं उजागर हुई हैं। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने उचित जांच-पड़ताल या फर्मों के अनुभव और क्षमताओं का आंकलन किए बिना पसंदीदा व्यक्तियों, फर्मों और कंपनियों को ठेके दिए।

एक फर्म को कथित तौर पर व्यावसायिक परामर्श सेवाओं के लिए 1.4 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि फर्म का वास्तविक व्यवसाय कपड़ों का था। एफआईआर में उल्लेखित एक अन्य उदाहरण भारत बनाम न्यूजीलैंड मैच के दौरान सवाई मान सिंह स्टेडियम के नवीनीकरण, मरम्मत और इवेंट मैनेजमेंट के लिए एक निर्माण फर्म को ठेका देना है। शुरुआत में इस काम के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे, लेकिन टेंडर धारकों को दरकिनार कर दिया गया और पसंदीदा फर्म को ठेका दे दिया गया। इस फर्म को 10 दिन के भीतर करीब 4 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया।

इसके अलावा एफआईआर में राजस्थान प्रीमियर लीग (आरपीएल) के आयोजन में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए निर्धारित धन का दुरुपयोग हुआ। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि आरसीए ने एक नए स्टेडियम का निर्माण शुरू किया,  जिसके लिए 7 जुलाई 2022 को निविदा जारी की गई थी। अधिकारियों ने एक विशिष्ट फर्म से निविदा स्वीकार करने के लिए आवेदन प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी और आखिर में उसी विशेष फर्म को ठेका दे दिया, जबकि प्रतिष्ठित निर्माण कंपनियों ने पहले ही निविदा फार्म खरीद लिए थे।