Rajasthan By-Election: पति की विरासत बचा पाएंगी कनिका बेनीवाल? ये मुद्दे बने रास्ते का रोड़ा
राजस्थान उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल का गढ़ खींवसर चर्चा का केंद्र! कनिका बेनीवाल परिवार की विरासत बचाने के लिए मदान में हैं। बीजेपी के रेवंतराम डांगा और कांग्रेस के रतन चौधरी से कड़ी टक्कर मिल रही है।
राजस्थान उपचुनाव में अब बस इंतजार मतदान का है। नामाकंन प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के साथ निर्दलीय उतरे उम्मीदवारों ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है। भले चुनाव राजस्थान की सात सीटों पर हो रहा है लेकिन निगाहें टिकी हैं तो हनुमान बेनीवाल के गढ़ खींवसर पर है। जहां से आरएलपी ने बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को मैदान में उतारा है। ये सीट इसलिए भी खास है क्योंकि यहां पर आरएलपी की राहें आसान नहीं है। इस बार मुकाबला केवली बेनीवाल वेस बीजेपी ने होक त्रिकोणीय हैं। नागौर से सांसद बनने के बाद हनुमान बेनीवाल ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था,हालांकि पिछले विधानसभा चुनावों में वह केवल दो हजार वोटों से जीते थे। उन्हें बीजेपी प्रत्याशी रेवंतराम डांगा से कड़ी टक्कर मिली थी। ऐसे में बीजेपी ने डांगा पर भरोसा जताया है जबकि कांग्रेस से रतन चौधरी मैदान में है। बीते दिन खींवसर से कांग्रेस के कद्दावर नेता दुर्ग सिंह बीजेपी खेमे के साथ चले गए। ऐसे में जानेंगे कनिका बेनीवाल परिवार की विरासत बचाने में कितनी कामयाब हो पाती हैं।
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आसान नहीं कनिका बेनीवाल की राह
वैसे तो खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल 2008 के बाद से अभी तक कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं। यहीं वजह है उन्होंने जनता के लिए साहनुभूति कार्ड खेलते परिवार से पत्नी कनिका को मैदान में उतारा है। युवाओं के बीच बेनीवाल का क्रेज है। वह खुद को जनता का नेता बताते हैं। राजस्थान में उनकी अपनी अलग फैन-फॉलोइंग हैं हालांकि खींवसर की राजनीति को पास से जानने वाले जानकार मानते हैं,इस सीट पर जतना स्थानीय चेहरों को ज्यादा महत्व देती है। इसकी बानगी 2023 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिली जब रेवंतराम डांगा दूसरे स्थान पर रहे। वह खींवसर के रहने वाले हैं और उनका यहां से पारिवारिक जुड़ाव भी है। वह आम जनता के बीच सक्रिय हैं। निजी तौर पर लोगों से मिलना, काम करवाना। यही वजह रही वह बेनीवाल को टक्कर देने में कामयाब रहे।
खींवसर की जनता का उठा भरोसा !
कई रणनीतिकार मानते हैं हनुमान बेनीवाल पहले खींवसर पर फोकस रखते लेकिन अब नागौर से सांसद बनने के बाद वह केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं। यहां तक वह परिवार के साथ नागौर में रहते हैं। ऐसे में जनता खींवसर के चेहरे पर वोट कर सकती है, जो विधायक उनके पास रहता हो। जिससे मिलकर वह अपनी समस्या बता सके। इससे इतर परिवारवाद भी बड़ा मुद्दा है,बेनीवाल परिवारवाद के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हो लेकिन 2019 और 2024 के उपचुनाव में उन्होंने अपने भाई और पत्नी को टिकट दिया है। ऐसे में इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि ये मुद्दे उपचुनाव मेंहाव हो जाए। बहरहाल, खींवसर पर हनुमान बेनीवलाल कभी नहीं आ रहे। ऐसे में विरासत कायम करने के लिए कनिका बेनीवाल जनता पर क्या प्रभाव छोड़ती हैं तो वक्त बताएगा।