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Rajasthan News: थार रेगिस्तान बना पक्षियों का आवास, 10,000 किलोमीटर की यात्रा के बाद पहुंचा धोलिया गांव

थार का रेगिस्तान, जो पहले अपनी सूखी और कठोर जलवायु के लिए जाना जाता था, अब जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों के लिए एक आदर्श आवास बनता जा रहा है। हाल ही में यूरोपियन रोलर नामक प्रवासी पक्षी को जैसलमेर के धोलिया गांव में देखा गया, जो अपनी लंबी यात्रा के दौरान थार में ठहराव ले रहा था। 

Rajasthan News: थार रेगिस्तान बना पक्षियों का आवास, 10,000 किलोमीटर की यात्रा के बाद पहुंचा धोलिया गांव

थार का रेगिस्तान पक्षियों के लिए अनुकूल आवास बनता जा रहा है, जिसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन प्रमुख है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से रेगिस्तान में तापमान में कमी आई है, जिससे यहां का वातावरण पक्षियों और अन्य वन्यजीवों के लिए अधिक अनुकूल हो गया है। इसी के चलते यहां भोजन और पानी की उपलब्धता बढ़ी है, जिससे विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षी थार के इस क्षेत्र में आकर ठहरने लगे हैं।

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यूरोपियन रोलर दिखे जैसलमेर में 

हाल ही में जैसलमेर के लाठी क्षेत्र में पक्षी प्रेमी राधेश्याम विश्नोई ने यूरोपियन रोलर नामक प्रवासी पक्षी को देखा। यह पक्षी दक्षिण-पश्चिम यूरोप से करीब 10,000 किलोमीटर की यात्रा करके यहां पहुंचा है। यह अफ्रीका के दक्षिणी हिस्से में सर्दियों के लिए जा रहा था, और यात्रा के बीच में भोजन की तलाश में लाठी के धोलिया गांव के पास ठहरा। राधेश्याम विश्नोई के अनुसार, यह पक्षी सर्दियों में यूरोप और एशिया से अफ्रीका की ओर प्रवास करते हैं, और अपनी यात्रा के दौरान कुछ जगहों पर भोजन के लिए रुकते हैं।

यूरोपियन रोलर को कहा जाता है कश्मीरी नीलकंठ

वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रवासी पक्षी तारे, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, सूरज की स्थिति और दिमाग के नक्शे के आधार पर अपनी यात्रा करते हैं। यूरोपियन रोलर, जिसे हिंदी में कश्मीरी नीलकंठ भी कहा जाता है, का वैज्ञानिक नाम "कोरेसियस गेरूलस" है। इसका प्रजनन क्षेत्र यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में है, और यह एक संकटग्रस्त प्रजाति मानी जाती है। शिकार, कीटनाशकों के इस्तेमाल और जंगलों की कमी के कारण इनकी संख्या लगातार घट रही है।

थार का रेगिस्तान बना पक्षी प्रेमियों का क्षेत्र 

धोलिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में इन पक्षियों का प्रवास नवंबर तक चलता है, और वे अप्रैल-मई तक अफ्रीका में रुकने के बाद अपने प्रजनन क्षेत्रों में लौट जाते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण थार का रेगिस्तान पक्षी प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनता जा रहा है, जहां दुलर्भ प्रजातियों के पशु और पक्षी दिखाई देने लगे हैं।