राजस्थान की बेटी ने रचा इतिहास, किलीमंजारो पर लहराया तिरंगा और बनी पहली गुर्जर महिला पर्वतारोही
दौसा जिले की पायल गुर्जर ने साउथ अफ्रीका के माउंट किलीमंजारो पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया है। वह राजस्थान के गुर्जर समुदाय की पहली महिला पर्वतारोही हैं। पायल को यह प्रेरणा उनके पिता से मिली, जो भारतीय प्रादेशिक सेना में सूबेदार हैं। साहस और लगन की मिसाल बनी पायल अब विश्व की सात सबसे ऊंची चोटियों पर भारत का तिरंगा लहराने का सपना देख रही हैं।
दौसा जिले की बहरावंडा तहसील के दिवाकर गांव की पायल गुर्जर ने अपने साहस और मेहनत से एक नई मिसाल कायम की है। पायल ने हाल ही में साउथ अफ्रीका की मशहूर चोटी माउंट किलीमंजारो की 19,341 फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराकर न केवल भारत का, बल्कि अपने समुदाय का भी नाम रोशन किया। पायल गुर्जर राजस्थान में गुर्जर समुदाय की पहली महिला पर्वतारोही बन गई हैं।
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पहले भी पा चुकी हैं फतह
पायल का यह कारनामा उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस का प्रतीक है। इससे पहले उन्होंने 17,000 फीट ऊंची मचोई पीक, कंचनजंघा बेस कैंप और कई अन्य कठिन चोटियों को फतह किया है। उनके लिए यह सफर आसान नहीं था। कड़ाके की ठंड, तेज हवाएं, भारी बर्फबारी और ऑक्सीजन की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए पायल ने यह उपलब्धि हासिल की।
कौन है पायल गुर्जर की प्रेरणा
पायल को पर्वतारोहण की प्रेरणा उनके पिता सूबेदार नेताराम गुर्जर से मिली, जो भारतीय प्रादेशिक सेना की 123वीं बटालियन (ग्रेनेडियर्स) में सेवा कर रहे हैं। नेताराम गुर्जर को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 2012 में बेस्ट नॉन-कमीशन ऑफिसर और 2016 में बेस्ट जूनियर कमीशन ऑफिसर के पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। पिता की इस सेवा भावना और नेतृत्व कौशल से प्रेरित होकर पायल ने ठान लिया था कि वह भारत का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा करेंगी।
पायल की जीवन
पायल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से की, फिर जयपुर के आर्मी पब्लिक स्कूल और मदरलैंड पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की। फिलहाल, वह जयपुर के डीसीएस कॉलेज में बीए-बीएड के द्वितीय वर्ष में पढ़ाई कर रही हैं। बचपन से ही पायल का झुकाव साहसिक गतिविधियों की ओर था, जिसने उन्हें पर्वतारोहण के क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित किया।