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Rajasthan Kabir Yatra 2024: बीकानेर में गूंजेगी सूफी-संतों की आवाज, Ricky Kej भी होंगे शामिल, जानिए इवेंट्स की डीटेल्स

Rajasthan Kabir Yatra 2024: राजस्थान की धरती एक बार फिर भक्ति और सूफी संतों की वाणी से गूंजने वाली है। यह यात्रा न केवल संगीत प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अवसर है, बल्कि उन सभी के लिए भी एक महत्वपूर्ण अनुभव है, जो सामाजिक सद्भाव, आध्यात्मिक चिंतन, और सांस्कृतिक समृद्धि में डूबना चाहते हैं। 

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Rajasthan Kabir Yatra 2024 : 2 से 6 अक्टूबर 2024 के बीच राजस्थान की धरती भक्ति और सूफी संतों की वाणी से गूंजेगी, जब राजस्थान कबीर यात्रा का आयोजन बीकानेर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में होगा। इस बार की यात्रा को खास बनाने वाला एक बड़ा नाम है—तीन बार ग्रैमी पुरस्कार विजेता संगीतकार रिकी केज।

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रिकी केज, जो अपने पर्यावरणीय संदेशों और सांस्कृतिक धरोहरों को संगीत के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं, इस बार राजस्थान कबीर यात्रा का हिस्सा बनने जा रहे हैं। वह इस अनोखे उत्सव में अपनी उपस्थिति को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उनके शब्दों में, "मैं मानता हूं कि ग्रामीण भारत की पारंपरिक संगीत परंपराओं को बढ़ावा देना और संरक्षित करना एक अद्भुत विचार है। खासकर गांवों में जाकर वहां के पारंपरिक संगीत का हिस्सा बनना एक बेहद दिलचस्प अनुभव होगा।" रिकी केज का इस यात्रा से जुड़ाव उनके अपने सांस्कृतिक और व्यक्तिगत संबंधों से भी प्रेरित है। उनकी जड़ें राजस्थान से जुड़ी हैं, और इस यात्रा में शामिल होना उनके लिए एक भावनात्मक अनुभव होगा। वे कहते हैं "कबीर, मीरा और अन्य संत कवियों की सच्ची वाणी में वह गहराई है, जिस पर अब तक कम काम हुआ है। राजस्थान कबीर यात्रा में लोक कलाकारों द्वारा इन वाणियों का जीवंत प्रस्तुतीकरण एक अनूठा अनुभव होगा।"

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राजस्थान कबीर यात्रा, 2012 में लोकायन संस्थान, बीकानेर द्वारा शुरू की गई थी, और राजस्थान पुलिस और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से आज यह भारत के प्रमुख लोक संगीत महोत्सवों में से एक बन चुकी है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य संत कबीर, मीरा, बुल्ले शाह, और शाह लतीफ जैसे महान संत कवियों की शिक्षाओं और उनके संदेशों को जन-जन तक पहुँचाना है। इस यात्रा की प्रासंगिकता आज के समय में और भी बढ़ जाती है, जब समाज में जाति, धर्म, और पहचान के आधार पर विभाजन बढ़ रहा है।

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राजस्थान कबीर यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान कहते हैं कि राजस्थान के लोक संगीत और आध्यात्म की एक बेजोड़ परंपरा है जिसमें लोक सिर्फ मनोरंजन नहीं तलाशता बल्कि उस संगीत में एक गहरे दर्शन का भी इशारा है। सत्संग यानी 'सत्य के साधकों' की संगत। जहाँ सभी एक साथ कबीर और मीरा को गाते हैं। चौक- चौबारों पर गाए जाने वाली ये वाणियां अपने आप में सामूहिकता को समेटे हुए है, यह पूरा विचार ही लोक की समृद्ध परम्परा का जश्न है। ऐसे स्थान सभी प्रकार की लोक गायन धाराओं के सुंदर संगम है। यह भेदभाव से हटकर सभी समुदायों को एक साथ जोड़ते हैं, और जाति- धर्म की सीमाओं को भी तोड़ते है। इन वाणियों के माध्यम से हम लोक की समृद्ध अभिव्यक्ति को समझने की कोशिश करते है, क्योंकि इन गीतों से निकलने वाले संदेश महत्वपूर्ण है। यात्रा में गीतों के बाद उनकी व्याख्या पर लंबी चर्चा होती है।

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कबीर जैसे संत कवियों का संदेश सभी बाधाओं को पार कर प्रेम, एकता, और समरसता को बढ़ावा देना है। कबीर कहते हैं:

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहिं।

सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि॥                                                                        

बीकानेर जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि राजस्थान कबीर यात्रा से अपने जुड़ाव के बारे में बात करते हुए कहती हैं "इस यात्रा के माध्यम से, विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग एक साथ आते हैं और संतों की वाणी में समाहित इस संदेश को आत्मसात करते हैं। यात्रा का उद्देश्य न केवल संगीत का आनंद लेना है, बल्कि इस विचार को प्रसारित करना है कि सभी धर्मों और पंथों का सार एक ही है—प्रेम, शांति, और मानवता।" राजस्थान कबीर यात्रा एक संगीतमय उत्सव होने के साथ-साथ एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव भी है। यात्रा के दौरान आयोजित होने वाले सत्संग, जागरण, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभागी न केवल संगीत का आनंद लेते हैं, बल्कि संत कवियों के गहरे आध्यात्मिक संदेशों को भी समझते हैं। इस महोत्सव में शामिल होने वाले कलाकार लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत, और सूफी गायन के माध्यम से श्रोताओं को भक्ति और सूफीवाद की गहराइयों में ले जाते हैं।

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राजस्थान कबीर यात्रा का संदेश स्पष्ट है—सभी बाधाओं को पार कर प्रेम, शांति, और एकता की स्थापना करना। यह यात्रा हमें संतों की वाणी में छिपे गहरे अर्थों को समझने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का अवसर देती है। आज, जब समाज में विभाजन और संघर्ष की स्थितियाँ बढ़ रही हैं, तब इस यात्रा की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। यह महोत्सव हमें एक ऐसे समाज की दिशा में अग्रसर करता है, जहां प्रेम और शांति की धारा बहती है। इस साल बीकानेर जिला प्रसाशन के सहयोग से मलंग फोक फाउंडेशन द्वारा राजस्थान कबीर यात्रा का आयोजन 2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक बीकानेर और आस पास के ग्रामीण अँचलों पूगल, श्री कोलायत, कक्कू और देशनोक में होने जा रहा है । यह यात्रा राजस्थान के बीकानेर के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित की जाएगी। ये शहर न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक समृद्धि भी अद्वितीय है। यात्रा के दौरान, स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से संत कवियों की वाणी को जीवंत करेंगे।

 

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राजस्थान की धरती एक बार फिर भक्ति और सूफी संतों की वाणी से गूंजने वाली है। यह यात्रा न केवल संगीत प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अवसर है, बल्कि उन सभी के लिए भी एक महत्वपूर्ण अनुभव है, जो सामाजिक सद्भाव, आध्यात्मिक चिंतन, और सांस्कृतिक समृद्धि में डूबना चाहते हैं। यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान ने बताया कि लोकसंगीत के कलाकारों में पद्मश्री प्रह्लाद सिंह टिपानिया, महेशा राम जी, मूरालाला मारवाड़ा, लक्ष्मण दास, पद्मश्री कालूराम बामनिया, अरुण गोयल, भल्लू राम, सुमित्रा देवी, मीरा बाई, मांगी बाई, मीर बासु, मीर रज़ाक, अरुण गोयल, सकूर खान, पद्मश्रीअनवर खान, पद्मश्री भारती बंधु, चार यार, कबीर कैफे, फेरो फ्लूइड, हमीरा किड्स, श्रुति विश्वनाथ के अलावा अन्य कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकार भी शामिल होंगे। यात्रा का विशेष "कर्टेन रेज़र" कार्यक्रम 1 अक्टूबर को हाल ही में नोखा के सीलवा गांव में बने प्रशिद्ध पदम स्मारक में आयोजित होगा।