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Rajasthan News:विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने विपक्ष के नेताओं को पढ़ाया नियमों का पाठ, कहीं ये बड़ी बात, आप भी पढ़ें

Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा में सोमवार यानि 5 अगस्त का दिन हंगामे के भेंट चढ़ गया. जहां विधानसभा अध्यक्ष वसुदेव देवनानी ने विपक्ष के घरने पर नेताओं को नियमों का पाठ पढ़ाते हुए बड़ी बात कहीं.

Rajasthan News:विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने विपक्ष के नेताओं को पढ़ाया नियमों का पाठ, कहीं ये बड़ी बात, आप भी पढ़ें

राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने राजस्थान विधान सभा में नियमों और परम्पराओं के विपरित प्रतिपक्ष के हठधर्मिता वाले व्यवहार को बेहद दुःखद बताया है. उन्होंने कहा कि विधानसभा जैसे पवित्र और गरिमापूर्ण सदन में किसी सदस्य के द्वारा आसन की ओर अभद्र इशारों का प्रदर्शन शर्मनाक बात है. नेता विपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का पक्ष लेना बेहद निंदनीय है और ऐसे सदस्य का बचाव किया जाना भी अशोभनीय है.  देवनानी ने कहा कि आसन द्वारा सदस्य का निलंबन किये जाने का कदम सदन की गरीमा की रक्षार्थ उठाया गया. विपक्ष ने लगातार आसन के निर्देशों की अवहेलना की है. प्रतिपक्ष के सदस्य का सोमवार को सदन में व्यवहार और नेता विपक्ष द्वारा ऐसे सदस्य का बचाव संसदीय परम्पराओं की अवहेलना की पराकाष्ठा है.

सदन में सत्र के दौरान अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने उदार रुख अपनाते हुए आसन से पांच बार नेता विपक्ष को नियमों के अनुसार विषय उठाने और व्यवस्था दिये जाने के लिए कहा गया. इसके बावजूद भी विधान सभा में प्रतिपक्ष का हठधर्मिता का प्रदर्शन करते हुए वेल में आना, सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है. उल्लेखनीय है कि सदन में नेता विपक्ष द्वारा उठाया गया विषय न्यायालय में विचाराधीन चल रहा है. राजस्थान विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के तहत न्यायालय में विचाराधीन विषर्या पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं होती है. न्यायालय में विचाराधीन चल रहे विषयों को बार-बार सदन में उठाया जाना नियमों ही नहीं परम्पराओं के भी विपरित होता है.

सोमवार को विधान सभा में विधायकों के अनुभवों और नवाचारों पर विचार के दौरान विधि विभाग ‌द्वारा 12 जिलों में कुछ लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ति के सन्दर्भ में 27 जुलाई को हुए आदेश में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के उल्लेख का विषय नेता विपक्ष द्वारा व्यवस्था के प्रश्न के नाम से उठाया गया. जो कि सदन के नियमों के विपरित था. विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 294 के तहत यह व्यवस्था का प्रश्न ही नहीं था. विधान सभा सदन में किसी विषय को सदन में रखने से पहले विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 295 के मुताबिक सदन में किसी मुद्दे को उठाने से पहले लिखित में विधान सभा के प्रमुख सचिव को सूचना दिये जाने का प्रवधान है.

विधान सभा में चल रहे गतिरोध के दौरान ही विधायक श्री मुकेश भाकर द्वारा आसन के प्रति अशोभनीय व्यवहार और हाथों के इशारे से अमर्यादित प्रदर्शन किया गया, जो विधान सभा में सन 1952 से लेकर अब तक के इतिहास में ऐसे किसी व्यवहार की नजीर नहीं है और प्रतिपक्ष नेता का भी बैल में आने की परम्परा नहीं रही है. इसकी प्रतिपक्ष नेता व प्रतिपक्ष विधायको को घोर निन्दा करनी चाहिए, ताकि विधान सभा सदन की गरिमा और पवित्रता कायम रखी जा सके. विधान सभा के सभी सदस्यों का सदन की पवित्रता व गरिमा को बनाये रखने का महत्वपूर्ण दायित्व होता है.

नेता विपक्ष द्वारा सदन में नियमों व आसन के निर्देशों की अवहेलना करके सदन संचालन में व्यवधान डालना और अपमानजनक भाषा के प्रयोग किये जाने के मामले गत दिनों में अनेक बार हुए है, जो आसन द्वारा सदन की समृद्ध परम्पराओं के अनुरूप स्वीकार योग्य नहीं है. पूर्व में भी प्रतिपक्ष नेता ‌द्वारा आसन को धृतराष्ट्र कहना, विधायक शांति धारिवाल द्वारा सदन में सभापति को धमकाया जाना और अपशब्द के उपयोग किये जाने के साथ प्रतिपक्ष ‌द्वारा लगातार नियमों की अवहेलना उनका लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं और संसदीय परम्पराओं में आस्था नहीं होना प्रदर्शित करता है.