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नवरात्रो पर राजस्थान के बिजासन माता के मंदिर में दर्शन करने से मिलेगा मनचाहा फल, मुंबई महाराष्ट्र तक....

इस आस्था धाम पर माता की एक झलक पाने के लिए भक्तों को ऊंची पहाड़ी पर पहुंचने के लिए लगभग 750 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैंहजारों फीट ऊंचाई पर विशाल पहाड़ के बीचों-बीच मंदिर स्थापित होने के कारण बिजासन माता की शान भी ऊंची है

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Rajasthan: राजस्थान की धरती पर करणी माता से लेकर उत्तर भारत की प्रसिद्ध कैला देवी माता जैसे तो कई प्राचीन और चमत्कारी शक्तिपीठ बने हुए हैं। लेकिन राजस्थान के बूंदी जिले के अंतर्गत आने वाला बिजासन माता का एक धाम ऐसा है, जहां माता अरावली पर्वतमालाओं के बीचों-बीच हजारों फीट की ऊंचाई पर एक विशाल पहाड़ी पर विराजमान है।वही, माता बिजासन का मेला नवरात्र स्थापना के साथ ही शुरू हो गया है। यहां नौ दिन तक दूर-दूर से भक्त माता के दरबार में मनोकामना मांगने आते हैं। इस दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है। मान्यता है कि माता रानी अरावली पहाड़ियों को चीरकर प्रकट हुई थी। यहां सात बहनों के साथ माता विराजमान है माता बिजासन के नाम से प्रसिद्ध और हजारों सालों से भी ज्यादा पुराना यह मंदिर बूंदी जिले के इंदरगढ़ कस्बे में पड़ता है। माता के भक्तगण इन्हें इंदरगढ़ वाली बिजासन माता के नाम से पुकारते हैं। ऊंची पहाड़ियों के बीचों- बीच बसे माता के इस चमत्कारी दरबार से देशभर के श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुडी हुई है।बिजासन माता की मान्यता भी निराली है। कहते हैं कि इनकी एक झलक मात्र से ही श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं। इस आस्था धाम पर माता की एक झलक पाने के लिए भक्तों को ऊंची पहाड़ी पर पहुंचने के लिए लगभग 750 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।हजारों फीट ऊंचाई पर विशाल पहाड़ के बीचों-बीच मंदिर स्थापित होने के कारण बिजासन माता की शान भी ऊंची है।

 750सीढ़ी चढ़कर भी नहीं होती ठकावट

बिजासन माता के प्रति लोगों की आस्था भी इतनी अटूट है कि हमेशा इस मंदिर पर भक्तों का जनसैलाब लगा ही रहता है। छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग भी इस मंदिर की 700 से ज्यादा सीढ़ियां भक्ति के सरोवर में डूबकर बिना हैरान हुए चढ़ जाते हैं।माता के इस दरबार की सबसे खास बात तो यह है कि 700 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़ने-उतरने के बाद भी माता के भक्त अपने आप को बिल्कुल भी थका हुआ महसूस नहीं करते हैं।

माता के मंदिर में हर तकलीफ होती हैं दूर

माता के इस आस्थाधाम के पुजारी हरिओम योगी और नंदकिशोर योगी ने Bharat Raftar को बताया कि यह मां बिजासन का प्राचीन मंदिर है, जो हजारों सालों से भी ज्यादा पुराना है।इसकी प्राचीनता की कल्पना भी करना मुश्किल है। योगी का कहना है कि पैरालिसिस हो या आंखों में तकलीफ, मां अपने भक्तों की बड़ी से बड़ी परेशानी और बीमारी को हर देती है।

गुरु कृपानाथ की भक्ति से हुई थी प्रकट

पुजारी हरिओम योगी ने Bharat Raftar को आगे बताया कि बिजासन माता के दरबार में सालों से अखंड ज्योति भी जलती आ रही है। गुरु कृपा नाथ जी महाराज ने इन्हें अपनी भक्ति से प्रकट किया था, जिनका स्थान भी माता के दरबार से आधा किलोमीटर दूर दर्रा नामक गांव में बना हुआ है। योगी का कहना है कि सच्ची श्रद्धा से आने वाले भक्तों की यहां हर मनोकामनाएं बिजासन माता पूरी कर देती हैं।

इतने समय तक माता का दरबार रहता है खुला

सुबह से शाम तक खुला रहता है माता का दरबार  सुबह के 6 बजे से होने वाली पहली आरती से माता के भक्तों को दर्शन मिलना शुरू हो जाता है। दिन में बिजासन माता की धूप और मनमोहक आरती भी होती है। इसके बाद शाम को होने वाली सांयकाल आरती के बाद माता का दरबार बंद हो जाता है।

 भक्तों ने बताया कैसे होती हैं उनकी मनोकामना पूरी

मुंबई से आए भक्तों ने बताया कि हम पिछले 25 सालों से माता रानी के दरबार में साल के दोनों नवरात्रों में आने की कोशिश करते हैं और आ भी जाते हैं लेकिन इस बार भी हमारी फ्लाइट मिस हो गई उसके बावजूद भी दूसरी फ्लाइट में टिकट न होने के कारण भी हम यहां पर पहुंचे इसके पीछे केवल और केवल माता रानी का ही चमत्कार है। और हमारी ऐसी कोई मनोकामना बाकी नहीं जो माता रानी ने पूरी ना की हो ।