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WW-3 की आहट से ईरान ने सुलगाई आग… इजरायल का पलटवार अर्थव्यवस्थओं पर प्रभाव...

बारूद के ढेर पर बैठे वेस्ट एशिया में कभी भी जंग छिड़ सकती है। ईरान और इजरायल के बीच सैन्य तनाव चरम पर है। ईरान ने 13 अप्रैल की रात को पहली बार, सीधे तौर पर इजरायल को निशाना बनाया था। तो क्या ईरान का हमला तीसरे विश्व युद्ध की आहट है जिसमें दुनिया दो धड़ों में बंट गई है। अगर जंग आगे बढ़ती है तो इसका असर वैश्विक अर्थव्यस्थाओं पर पड़ेगा जो कोरोना काल के बाद किसी तरह पटरी पर लौटी है।

WW-3 की आहट से ईरान ने सुलगाई आग… इजरायल का पलटवार अर्थव्यवस्थओं पर प्रभाव...

बारूद के ढेर पर बैठे वेस्ट एशिया में कभी भी जंग छिड़ सकती है। ईरान और इजरायल के बीच सैन्य तनाव चरम पर है। ईरान ने 13 अप्रैल की रात को पहली बार, सीधे तौर पर इजरायल को निशाना बनाया था। तो क्या ईरान का हमला तीसरे विश्व युद्ध की आहट है जिसमें दुनिया दो धड़ों में बंट गई है। अगर जंग आगे बढ़ती है तो इसका असर वैश्विक अर्थव्यस्थाओं पर पड़ेगा जो कोरोना काल के बाद किसी तरह पटरी पर लौटी है।

ईरान और इजरायल के बीच जंग छिड़ चुकी है पर्दे के पीछे से आतंकि समुहों हमास हिजबुल्लाह और हूती को समर्थन दे रहा ईरान अब जंग में खुलकर सामने आ गया है। ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में माना है की इस जंग में जो हमला किया गया वह बदला लेने के लिए किया गया था। ईरान ने इजरायल पर शोलों की बारिश अपने सीनियर मिलिट्री ऑफिशियल्स की हत्या के जवाब में की थी। हालांकि, इजरायल ने अभी तक 1 अप्रैल को सीरिया के दमास्कस में एयर स्ट्राइक की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन हमले के बाद ईरान ने बदले की कसम खाई थी। 13 अप्रैल को ईरान ने इजरायल पर  350 बैलेस्टिक मिसाइल रॉकेटों और ड्रोन से हमला किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान ने कहा है की उसका बदला पूरा हुआ। मगर अब इजरायल जवाब देने के मूड में है। इजरायल और ईरान में जंग की आहट को बाकी दुनिया महसूस कर पा रही है।

इजरायल पर आग की बारिश

शनिवार की रात को ईरान की तरफ से इजरायल पर बड़ा हमला किया गया। 350 के करीब मिसाइल्स क्रूज मिसाइल्स आर्म्ड ड्रोन से इन हमलों को ईरान की धरती लेबनान इराक और सीरिया से इजरायल की तरफ दागा गया। जिसके बाद मिडिल ईस्ट में संयुक्त सैन्य बलों ने सुरक्षा उपकरणों को एक्टिवेट कर दिया। इस बात को ध्यान में रखते हुए की प्रत्येक लक्ष्य के खिलाफ हमारा सुरक्षा कवच आयरन शिल्ड एक्टिवेट हो गया। इस संघर्ष में यूनाइटेड स्टेट फ्रांस ब्रिटेन और अन्य सहयोगी दल एकजुट हुए। हम इस हमले के खिलाफ हवा में जमीन पर और शिप्स पर तैयार हुए। डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट किया गया खतरे को इंटरसेप्ट कर लिया गया और ईरान का इजरायल पर हमला नाकाम हुआ।

इजरायल का पलटवार अर्थव्यवस्थओं पर प्रभाव

अगर युद्ध छिड़ा तो एशिया में जो तबाही होगी, उसका असर ग्लोबल अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा। शायद ही कोई देश ईरान-इजरायल युद्ध के असर से बच पाए। पश्चिमी एशिया के हालात पहले से ही तनावपूर्ण थे। 1 अप्रैल 2024 को हालात काबू से बाहर होते दिखे। दमास्कस स्थित ईरान की डिप्लोमेटिक बिल्डिंग पर हमला होता है। इस्लामिक रिपब्लिक गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कई सीनियर अधिकारी मारे जाते हैं। ईरान आरोप लगाता है कि हमला इजरायल ने किया। इजरायल जिम्मेदारी नहीं लेता। ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई 'बदला' लेने की कसम खाते हैं। बाकी दुनिया दम साधे वेस्ट एशिया के घटनाक्रम को देख रही है। ईरान के इजरायल के हमले के बाद इजरायल पूरा दम लगाने के लिए तैयार है। जिसमें उसका साथ अमेरिका ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी दे रहे हैं।

इजरायल की इरान को चेतावनी

आयरन शिल्ड ने ये साबित कर दिया की आयरन क्लाउड सिस्टम ने बेहतर समन्वय से काम किया। मैं अपने सभी अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों का धन्यवाद करना चाहता हूं, जो ईरान की आक्रामकता के समय हमारे साथ खड़े रहे। ईरान के हमले ने जता दिया की हमारे सहयोगियों का हमें पूरा समर्थन है। हम मामले पर नजर बनाए हुए हैं। हम उच्चतम तत्परता के साथ तैयार हैं। ईरान को अपने इस कदम का प्रतिउत्तर जरुर मिलेगा। हम अपने हिसाब से अपना जवाब प्रतिउत्तर के तौर पर देंगे। IDF किसी भी तरह के खतरे के लिए तैयार है। जो ईरान और उसके सहयोगियों की तरफ से मिलेगा। हम इजरायल की सुरक्षा के लिए तत्पर हैं।

भारत के लिए दोहरी चुनौती

युद्ध की स्थिति में, भारत के लिए दोहरी चुनौती होगी क्योंकि उसके ईरान और इजरायल, दोनों देशों से मजबूत रिश्ते हैं। इस तनावपूर्ण के भारत पर फौरी तौर पर पड़े असर का अगर जिक्र करें तो ईरान के सुरक्षा बलों ने होरमुज की खाड़ी में 13 अप्रैल को एक इजरायली मालवाहक पोत को बंधक बना लिया।  जिस पर कुल सवार 25 कर्मियों में से 17 भारतीय कर्मी शामिल हैं। युद्ध जोखिम प्रीमियम बढ़ जाएगा, जिससे शिपिंग बाजारों में अस्थिरता बढ़ जाएगी। लाल सागर से होर्मुज जलडमरूमध्य तक संघर्ष का संभावित प्रसार इस स्थानीय संघर्ष के व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावों के बारे में चिंता पैदा करता है।