बांग्लादेश में बढ़ रहा बवाल, भारत ने अपने नागरिकों के लिए जारी की एडवाइजरी
बांग्लादेश में हिंसा के कारण सरकार ने बांग्लादेश में स्कूलों और कॉलेजों के साथ-साथ सभी सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया और आवासीय छात्रों को छात्रावास छोड़ने के लिए कहा।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के हिंसक हो जाने और देश भर में कम से कम छह लोगों की मौत हो जाने के बाद भारत ने बांग्लादेश में रहने वाले अपने नागरिकों को यात्रा से बचने और अपनी आवाजाही कम करने की सलाह दी।
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अनिश्चित काल के लिए बंद हुए स्कूल कॉलेज
हिंसा के कारण सरकार ने बांग्लादेश में स्कूलों और कॉलेजों के साथ-साथ सभी सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया और आवासीय छात्रों को छात्रावास छोड़ने के लिए कहा।
भारतीय उच्चायोग का बयान
"बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, भारतीय समुदाय के सदस्यों और बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय छात्रों को सलाह दी जाती है कि वो यात्रा से बचें और अपने रहने वाले परिसर के बाहर अपनी आवाजाही कम से कम करें।"
आपातकालीन नंबर जारी
उच्चायोग ने किसी भी सहायता के लिए 24 घंटे चलने वाले कई आपातकालीन नंबर भी प्रदान किए। उच्चायोग की वेबसाइट के अनुसार, बांग्लादेश में लगभग 7,000 भारतीय थे।
बता दें कि झड़पें सोमवार को तब भड़कीं जब सत्तारूढ़ आवामी लीग के छात्र मोर्चे के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शनकारियों का सामना किया, जो इस बात पर जोर दे रहे थे कि मौजूदा कोटा प्रणाली बड़े पैमाने पर सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को रोक रही है। प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ पार्टी की छात्र शाखा, बांग्लादेश छात्र लीग पर पुलिस के समर्थन से उनके "शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन" पर हमला करने का आरोप लगाया।
प्रदर्शनकारियों ने पूर्ण राष्ट्रव्यापी बंद का फैसला किया
वहीं छात्र प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को पूर्ण राष्ट्रव्यापी बंद लागू करने का फैसला किया है। बता दें कि वर्तमान कोटा प्रणाली के तहत छप्पन प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं, जिनमें से 30 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए हैं, पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए 10 प्रतिशत,महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत, जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए पांच प्रतिशत और विकलांग लोगों के लिए एक प्रतिशत है ।
वहीं हर साल लगभग 400,000 स्नातकों के लिए लगभग 3,000 सरकारी नौकरियां निकलती हैं। प्रदर्शनकारियों ने यह कहते हुए व्यवस्था में सुधार के लिए अभियान चलाया कि इससे मेधावी छात्रों को प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी की सरकारी नौकरियों में भर्ती से वंचित किया जा रहा है।