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कभी ये आदिवासी घर छोड़ रोजगार के लिए कर रहे थे पलायन, फिर एक प्रयास ने संघर्ष को अवसर में बदल दिया

झारखंड के गोड्डा जिले के पोड़ैयाहाट प्रखंड की आदिवासी बहुल पंचायत लाठीबारी की तस्वीर भी बदली है। वर्तमान समय में यहां लोग खुशहाल नजर आते हैं, लेकिन अगर ज्यादा पीछे नहीं, बल्कि सिर्फ पांच या छह साल पहले का इतिहास देखें, तो पाते हैं कि यहां के आदिवासी युवक रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की तरफ रुख कर रहे थे। लेकिन अब गांव में ही उन्हें सिंचाई के लिए मदद के तौर पर संसाधन मिल गए है। उनकी जमीन पर तीन फसलें उपज रही है।

कभी ये आदिवासी घर छोड़ रोजगार के लिए कर रहे थे पलायन, फिर एक प्रयास ने संघर्ष को अवसर में बदल दिया
एक प्रयास ने संघर्ष को अवसर में बदल दिया

झारखंड के गोड्डा जिले के पोड़ैयाहाट प्रखंड की आदिवासी बहुल पंचायत लाठीबारी की तस्वीर भी बदली है। वर्तमान समय में यहां लोग खुशहाल नजर आते हैं, लेकिन अगर ज्यादा पीछे नहीं, बल्कि सिर्फ पांच या छह साल पहले का इतिहास देखें, तो पाते हैं कि यहां के आदिवासी युवक रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की तरफ रुख कर रहे थे। लेकिन अब गांव में ही उन्हें सिंचाई के लिए मदद के तौर पर संसाधन मिल गए है। उनकी जमीन पर तीन फसलें उपज रही है।

बड़ी आबादी चल पड़ी समृद्धि की राह पर

इससे एक बड़ी आबादी समृद्धि की राह पर चल रही है। यहां की पूर्व मुखिया सिमोन मरांडी और वर्तमान की मुखिया बनी उनकी पत्नी रोजमेरी मुर्मू के प्रयासों ने ये कमाल दिखाया है और उनकी मेहनत रंग लाई है। साल 2018 में नाबार्ड के सहयोग से राष्ट्रीय जल छाजन कार्यक्रम के तहत तत्कालीन मुखिया सिमोन मरांडी ने लाठीबारी पंचायत में एक साथ 19 तालाब व चेकडैम का निर्माण कराया।

जिससे आदिवासी किसानों की जमीन को सिंचाई की सुविधा मिल गई। अब यहां पर सब्जी और अनाज की भरपूर पैदावार शुरू हो गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हर सीजन में यहां के 500 से ज्यादा आदिवासी परिवारों को सिर्फ सब्जी की खेती से ही लाखों की आमदनी हो रही है। साथ ही साथ अच्छी बात ये है कि अब गांव का कोई युवक रोजगार के लिए यहां से पलायन नहीं करता है।

यहां पर अब हर घऱ में जरुरत पूरी होती नजर आ रही है। एंड्रायड फोन की मदद से कृषि संबंधी आनलाइन जानकारियां भी यहां के लोग हासिल करते है। एक प्रयास से सिंचाई सुविधा मिलने पर किसानों की मेहनत ने इस जगह की और उनकी दिशा और दशा दोनों बदल गई है।

यहां के डीडीएम नूतन राज का कहना है कि, नाबार्ड की ओर से लाठीबारी पंचायत में बहुफसलीय खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित कर उन्हें संसाधन मुहैया कराया गया। बीते तीन वर्षों में यहां केएफडब्लू स्वाइल प्रोजेक्ट के तहत 55 लाख रुपये जल व मिट्टी संरक्षण में व्यय किए गए। इसी माह वहां मशरूम और पोषण वाटिका के लिए बीज का वितरण किया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।