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किरोड़ी लाल मीणा के बाद अब बीजेपी नेता राठौड़ ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र, पानी की व्यवस्था को लेकर कह डाली ये बड़ी बात

राजस्थान में इस समय पत्रों की सियासत चल रही है. पहले कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के पत्रों ने राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला दिया था. अब पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने सीएम भजन लाल शर्मा को पत्र भेजा है.

किरोड़ी लाल मीणा के बाद अब बीजेपी नेता राठौड़ ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र, पानी की व्यवस्था को लेकर कह डाली ये बड़ी बात

राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा को किरोड़ लाल मीणा के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौर ने पत्र भेजा है. राठौर ने पत्र के माध्यम से सीएम को पेयजेल की किल्लत की समस्या से अवगत कराया है. राठौर साहब ने पत्र में लिखा है कि इंदिरा गांधी नहर में मरम्मत और सफाई का जो कार्य चल रहा है. उसकी वजह चुरू और कई इलाकों की पानी सप्लाई बाधित है.

राठौर ने पत्र में लिखा कि इंदिरा गांधी नहर की रावतसर वितरिका के सफाई एवं मरम्मत हेतु नहरबंदी करने से उत्पन्न भयावह जल संकट एवं जनाक्रोश की ओर आकर्षित करना चाहूंगा. इंदिरा गांधी नहर से मेरे गृह जिले चूरू सहित प्रदेश के करीब 16 जिलों में आंशिक/पूर्ण रूप से पेयजल आपूर्ति की जाती है. इसी नहर की रावतसर वितरिका में सिल्ट आदि जमा होने के कारण सफाई व मरम्मत करने के लिए पेयजल आपूर्ति बंद कर देने से काश्तकारों / आमजन में गहरा आक्रोश व्याप्त है.

उन्होंने लिखा, अधीक्षण अभियंता, जल संसाधन विभाग, वृत हनुमानगढ़ द्वारा काश्तकारों एवं जलदाय विभाग को पर्याप्त जलापूर्ति हेतु असमर्थता व्यक्त करते हुए दिनांक 16 मई 2024 से 25 मई 2024 तक रावतसर वितरिका में नहरबंदी करने की जो सहमति दी गई है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है.'

 

राजेन्द्र राठौड़ ने अपने पत्र में आगे लिखा की मैं आपके संज्ञान में लाना उचित समझता हूं कि, इंदिरा गांधी नहर की रावतसर वितरिका के गंधेली हैड से जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की नहर कर्मसाना हैड वर्ड्स तक स्थापित है. जहां विभाग का 1680 एम.एल. वाटर भंडारण निर्मित है. नहरबंदी के दौरान विभाग द्वारा कर्मसाना हैड वर्ड्स से ललानियां तक विभागीय नहर की सफाई करवाई जा चुकी है. वहीं गंधेली हैड से कर्मसाना हैड वर्ड्स तक विभागीय नहर की सफाई का कार्य प्रगतिरत है.

मौजूदा भीषण गर्मी के प्रकोप में जहां एक ओर आमजन पानी की बूंद-बूंद के लिए त्राहिमाम कर रहा है, वहीं दूसरी ओर नहरबंदी के फैसले के बाद जलापूर्ति नहीं होने से आमजन पर पेयजल संकट की दोहरी मार पड़ रही है. नहरबंदी के कारण पर्याप्त जलापूर्ति नहीं होने से आमजन धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर है.