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Rajasthan News: 'गठबंधन' और 'अति महत्वाकांक्षा' कांग्रेस को ले डूबी ! हनुमान बेनीवाल की सलाह,कह डाली ये बड़ी बात

हरियाणा विधानसभा चुनावों में अप्रत्याशित उलटफेर देखने को मिला। एग्जिट पोल कांग्रेस की जीत का दावा किया गया था, लेकिन बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगा दी। कांग्रेस की हार पर हनुमान बेनीवाल का बड़ा बयान सामने आया है।

Rajasthan News: 'गठबंधन' और 'अति महत्वाकांक्षा' कांग्रेस को ले डूबी !  हनुमान बेनीवाल की सलाह,कह डाली ये बड़ी बात

हरियाणा विधानसभा चुनाव रिजल्ट में ऐसा उलटफेर हुआ कि किसी ने सोचा भी नहीं था। एग्जिट पोल से लेकर तमाम सर्वे कांग्रेस की सरकार बनने का दावा कर रहे थे,यहां तक शुरुआती रुझानों में भी कांग्रेस आगे चल रही थी लेकिन वक्त के साथ बाजी पलट गई और बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगा दी। हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस की किरकरी हो रही है। बीजेपी नेता जमकर निशाना साध रहे हैं। इसी बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख सांसद हनुमान बेनीवाल का बयान सामने आया है। जहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस परिवार का अतिउत्साहित होना, घमंड और अन्य दलों के साथ मैदान में न उतरना कांग्रेस की हार का बड़ा कारण रहे। 

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कांग्रेस की हार पर बोले हनुमान बेनीवाल

दलअसल, चुनावी नतीजे सामने के बाद नागौर सासंद हनुमान बेनीवाल ने एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि- हरियाणा में कांग्रेस पार्टी इस बार मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की आपसी खींचतान और एक विशेष परिवार की अत्यधिक महत्वाकांक्षा के साथ-साथ इंडिया गठबंधन के अन्य दलों के साथ चुनाव न लड़ने की वजह से सत्ता से दूर रह गई। लोकसभा चुनाव के समय जब इंडिया गठबंधन से जुड़े सभी दल एकजुट होकर चुनाव लड़े थे, तो एनडीए को बड़ी मुश्किलों के साथ केंद्र में सरकार बना पाई थी। लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गठबंधन की ओर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते यह परिणाम सामने आया है।हरियाणा का किसान, युवा और दलित वर्ग भाजपा की नीतियों और शासन से असंतुष्ट था, लेकिन कांग्रेस पार्टी की ओर से एकजुट होकर चुनाव न लड़ने के कारण उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। हालांकि, लोकतंत्र में जनता का निर्णय ही सबसे महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व को अब इस स्थिति पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों को दोहराया न जाए।

आखिर किन वजहों से हार कांग्रेस 

1) अगर देखा जाए तो कांग्रेस की हार कारण उसकी लापरवाही है। पूरे चुनाव में आलाकमान नहीं बल्कि भूपेंद्र हुड्डा मुख्य चेहरा रहे। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक उन्होंने सब अपने हिसाब किया। जिसका नतीजा शैलजा और हुड्डा की नाराजगी के तौर पर सामने आया है। टिकट बंटवारे के दौरान शैलजा खेमें के नेताओं को 9 सीटों पर साइडलाइन कियाा। वही, हुड्डा के कारण आम आदमी पार्टी से भी कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ। जिससे कांग्रेस की छवि खराब हुई और लोगों ने एकतरफा वोट किया।

2) एक तरफ कांग्रेस अंदरूनी विवादों में उलझी रही तो बीजेपी के टीम वर्क ने उसे हरियाणा की सत्ता दिला दी। बीजेपी ने बूथ मैनेजमेंट से लेकर प्रबंधन तक कोई कमी नहीं रखी। प्रचार में अमित शाह,जेपी नड्डा से लेकर खुद पीएम मोदी ने कमान संभाली। वहीं, हरियाणा चुनाव प्रभारी सतीश पूनिय तीन स्तरीय प्रचार प्लान से हर विधानसभा कवर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाया। 

3) कांग्रेस हरियाणा में पहलवान,किसान और जवान के मुद्दो के साथ मैदान में थी लेकिन ये वादे केवल मंच तक दिखे। वह अपनी रणनीति आम जनता तक पहुंचाने में असफल साबित हुई। वहीं, कांग्रेस की रणनीति को बीजेपी ने बहुत अच्छे से हैंडल करते हुए किसानों,जवानों,पहलवानों के अलावा मेनिफेस्टों में महिलाओं से जुड़े कई वादे किये। 

4) कांग्रेस में सरकार बनने से पहले ही सीएम पद की लड़ाई शुरू हो गई। शैलेजा और हुड्डा आमने-सामने आ गए। जिसका नतीजा रहा कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। भूपेंद्र हुड्डा करीबियों को टिकट दिलाने के लिए कई दिनों तक दिल्ली में रहे हालांकि इस मसले पर शैलजा पीछे रह गईं। जिस वजह से उन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली,और दलिट वोटरों का मन बदल गया।