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कभी देखते थे सांसदों को आते जाते, अब खुद जनता ने चुना सांसद, पुलिस से है ये 'स्पेशल कनेक्शन'

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...इस बात को सच कर दिखाया है कांग्रेस से चुने गए बाड़मेर के नए सांसद उमेदाराम बेनीवाल ने, जो कभी दिल्ली पुलिस के लिए संसद मार्ग पर कांस्टेबल का कार्य करते थे, सांसदों को आते-जाते सैल्यूट करते थे.

कभी देखते थे सांसदों को आते जाते, अब खुद जनता ने चुना सांसद, पुलिस से है ये 'स्पेशल कनेक्शन'

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...इस बात को सच कर दिखाया है कांग्रेस से चुने गए बाड़मेर के नए सांसद उमेदाराम बेनीवाल ने, जो कभी दिल्ली पुलिस के लिए संसद मार्ग पर कांस्टेबल का कार्य करते थे, सांसदों को आते-जाते सैल्यूट करते थे. लेकिन जीवन ने अब उन्हें एक नई शुरुआत दी है. अब यही उम्मेदाराम दिल्ली में देश की सबसे बड़ी पंचायत की कुर्सी पर रहेंगे. बाड़मेर के पूनियों का तला गांव के निवासी उमेदाराम बेनीवाल साधारण परिवार से है.

राजस्थान के पूर्व डीजीपी हरीश मीना ने टोंक- सवाईमाधोपुर सीट से विजयी हुए है. इस सीट पर उन्होंने भाजपा से सुखबीर सिंह जौनपुरिया को हराया है. जो पिछले दो बार से लगातार चुनाव जीत रहे थे. हरीश मीना ने सुखबीर के हैट्रिक करने का सपना तोड़ दिया है. वहीं राजस्थान की बाड़मेर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार उम्मेदा राम बेनीवाल ने जीत दर्ज कर ली है. सीट में त्रिकोणीय मुकाबला होने के बाद भी बेनीवाल जीत हासिल की. वहीं दूसरे नंबर निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र भाटी रहे और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी तीसरे नंबर पर रहे.

पुलिस कांस्टबेल से बने सांसद

बाड़मेर से कांग्रेस सांसद उम्मेदा राम बेनीवाल एक साधारण परिवार से आते है. खेती और मजदूरी कर पढ़ाई की और साल 1995 में सरकारी नौकरी पाई. दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल पद पर तैनात रहे. उन्होंने दस साल दिल्ली पुलिस विभाग में अपनी सेवा दी. जब नौकरी छोड़ी तब बेनीवाल सांसद मार्ग के थाने में तैनात थे. जहां रोजाना कई सांसदों की गाड़ी निकला करती थी. इसको देखकर बेनीवाल का मन नौकरी में नही लेगा और उन्होंने नौकरी छोड़ व्यापार करने का मन बनाया. जिसके बाद राजस्थान वापस आकर हैण्डीक्राफ्ट का काम शुरू किया. जो चल पड़ा और दो पैसे कमाने लग गए. 

कौन हैं उम्मेदराम बेनीवाल? 

उम्मेदराम बेनीवाल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का प्रमुख चेहरों में से माने जाते हैं. खासतौर पर सीमावर्ती जिले बाड़मेर में RLP को मजबूत करने में उनकी बड़ी अहम भूमिका रही है. उम्मदेराम ने दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा है. हालांकि वो दोनों ही बार हार गए, लेकिन उन्होंने अपने प्रतिद्विंदियों को कड़ी टक्कर दी थी. 2018 के विधानसभा चुनाव में वो कांग्रेस के हरीश चौधरी से 13803 वोटों से हारे थे. लेकिन  2023 में उन्होंने कांग्रेस के हरीश चौधरी को कड़ी टक्कर दी. इस चुनाव में चौधरी को 76821 और उम्मेदाराम को 75911 वोट मिले थे और उम्मेदराम महज 910 वोट हार गए थे. भाजपा प्रत्याशी तो यहां तीसरे नंबर पर चला गया था.