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राजस्थान में IPS पंकज चौधरी बनाम अशोक गहलोत, गंभीर आरोपों वाले 'खुले पत्र' से सियासी घमासान तय

राजस्थान कैडर के चर्चित आईपीएस पंकज चौधरी का एक पत्र सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने यह पत्र पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर लिखा है.

राजस्थान में IPS पंकज चौधरी बनाम अशोक गहलोत, गंभीर आरोपों वाले 'खुले पत्र' से सियासी घमासान तय

राजस्थान कैडर के चर्चित IPS पंकज चौधरी का एक पत्र सोशल मीडिया पर चर्चा में है, जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह पत्र अब व्यापक बहस का कारण बन गया है और इसके विभिन्न पहलुओं को लेकर कई चर्चाएं चल रही हैं।

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राजस्थान कैडर के चर्चित आईपीएस पंकज चौधरी का एक पत्र सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने यह पत्र पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर लिखा है. पत्र में पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. पिछले दस सालों में अशोक गहलोत द्वारा मुख्यमंत्री रहते हुए उनके पिछले दो कार्यकालों (2008 से 2013 और 2018 से 2023) में लिए गए फैसलों को लेकर आरोप लगाए गए हैं. इस पत्र के जरिए आईपीएस पंकज चौधरी ने बताया कि पूर्व सीएम गहलोत ने हमेशा उनके खिलाफ साजिश रची. ईमानदारी और लगन से काम करने के बावजूद साजिश के जरिए उनके खिलाफ झूठी चार्जशीट जारी करवाई गई. उनके पारिवारिक मामले में भी हस्तक्षेप किया गया, लेकिन कोर्ट में गहलोत की कोई भी साजिश सफल नहीं हुई. इस पत्र के जरिए आईपीएस पंकज चौधरी ने यह भी जानकारी दी कि उन्होंने बार-बार मुलाकात की कोशिश की. कई बार मुलाकात के लिए कोशिश करते हुए उन्होंने 5 मिनट का समय मांगा, लेकिन सीएम के इर्द-गिर्द बैठे अफसरों ने मुलाकात नहीं होने दी. यही वजह है कि अब उन्हें इस खुले पत्र के जरिए अपनी बात कहनी पड़ रही है.

पढ़िए, क्या लिखा इस खुले पत्र में

'महोदय, इस महत्वपूर्ण पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान कुछ बिंदुओं की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। पत्र की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि आपके पिछले कार्यकाल में व्यक्तिगत मुलाकात के लिए 5 मिनट का समय मांगा गया था, लेकिन आपके इर्द-गिर्द मौजूद महानुभावों के समूह ने ऐसा नहीं होने दिया। इस 5 मिनट की मुलाकात में जो द्विपक्षीय संवाद संभव था, वह नहीं हो पाया। इसलिए यह खुला पत्र अपरिहार्य हो गया। सबसे पहले आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना है कि मुख्यमंत्री के रूप में आपके दूसरे कार्यकाल में वर्ष 2012 में जब आप बांसवाड़ा एएसपी के पद पर तैनात थे, तब तत्कालीन बांसवाड़ा विधायक श्री अर्जुन बामणिया को करीब 2000 लोगों ने अगवा कर लिया था। तत्कालीन गृह राज्य मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल जी और आला अधिकारियों के निर्देशानुसार मैं अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी टीम के साथ तत्काल मौके पर पहुंचा। किसी तरह विधायक को बचाया गया। मेरे साथ मौजूद कई थानेदारों के हाथ-पैर तोड़ दिए गए, मेरी गाड़ी पर हमला किया गया। यह पहली घटना थी, जब विभाग ने बेहतरीन काम के लिए वीरता पुरस्कार देने की सोची, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से आपने इसे नजरअंदाज कर दिया।'

कानूनी तौर पर खोली गई थी गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट

इस पत्र में पंकज चौधरी ने कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सालेह मोहम्मद के पिता गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि 'खैर, बांसवाड़ा के बाद जैसलमेर एसपी के कार्यकाल में तथाकथित गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट बिना किसी दबाव, बिना किसी प्रलोभन के नियमानुसार कानूनी तौर पर खोली गई थी। तत्कालीन पोकरण विधायक श्री सालेह मोहम्मद के खिलाफ एक सिपाही को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस घटना का जिक्र करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि आपके कुशल नेतृत्व में महज 48 घंटे में ही मेरा तबादला पीटीएस किशनगढ़ में प्रिंसिपल के पद पर कर दिया गया। कई महीनों तक लोग सड़कों पर रहे, देश-प्रदेश की मीडिया ने इस दुर्भावनापूर्ण तबादले को मुद्दा बनाया। इस दौरान मेरे प्रति आपके मन में एक तरह की हताशा और निराशा पैदा हुई।

जिसका कोई कानूनी आधार या तकनीकी पहलू नहीं था। खैर, सरकार बदल गई। आपके निर्देशन में चीजें बनीं और लाभ पहुंचाए गए। आपकी कुंठा को दूर करने का जिम्मा कुछ नौकरशाहों ने लिया, मुझे घेरने की कोशिश की, जिसमें पर्दे के पीछे से एक और पूर्व मुख्यमंत्री ने बहुत अच्छी भूमिका निभाई। कारण था एक खास गठबंधन जो फेविकोल की गांठ से भी ज्यादा मजबूत निकला, जिसे बाद में राज्य और देश के आम लोगों ने देखा और समझा। साजिशकर्ता लगातार कोशिश कर रहे थे। उन्हें शीर्ष राजनीतिक संरक्षण मिल रहा था।