दरगाह में मंदिर के दावे पर दीवान का बयान, कोर्ट से की तत्काल कार्रवाई की अपील
अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में मंदिर होने के दावे को लेकर एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है। शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के दौरान यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। दरगाह के सज्जादा नशीन जैनुल आवेदिन अली खान (दीवान) ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और अदालत से मामले में शीघ्र कार्रवाई की अपील की।
अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह इन दिनों एक नए विवाद के कारण सुर्खियों में है। शुक्रवार को यहां जुम्मे की नमाज शांतिपूर्वक अदा की गई, लेकिन इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी थी। दरगाह के अंदर और बाहर पुलिस बल तैनात था और सुरक्षा की सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गईं। यह सुरक्षा व्यवस्था खास रूप से उस दावे के बाद लागू की गई थी, जिसमें कहा गया था कि दरगाह में एक मंदिर भी मौजूद है।
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दरगाह में मंदिर होने का दावा
इससे पहले, दरगाह में मंदिर होने के दावे के बाद, शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के लिए कड़ी सुरक्षा के उपाय किए गए थे। पुलिस के जवानों ने दरगाह के सभी 10 दरवाजों पर तैनात होकर सख्ती से आने-जाने वालों की तलाशी ली। मेटल डिटेक्टर से जांच की गई और किसी भी संदिग्ध वस्तु को दरगाह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।
क्यों उठा दरगाह में मंदिर होने का दावा
इसी दौरान, ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के सज्जादा नशीन और प्रमुख जैनुल आवेदिन अली खान (दीवान) ने दरगाह में मंदिर के दावे पर मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि 20 दिसंबर 2002 को भारत सरकार ने एक जेपीसी (ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) का गठन किया था, जिसमें दरगाह और उसकी संपत्ति पर चर्चा की गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उस कमेटी में यह कहा गया था कि दरगाह में कोई मंदिर नहीं था और यह विवाद सिर्फ एक किताब के कुछ शब्दों के आधार पर उठाया जा रहा है।
दीवान ने आगे कहा कि "यह विवाद सिर्फ शब्दों का है, और हम परवाह नहीं करते कि कोई क्या लिखता है।" उन्होंने यह भी बताया कि 1991 के एक्ट के तहत इस मुद्दे को खिलौना बना दिया गया है। दीवान ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह जल्द से जल्द इस मामले में कोई ठोस कदम उठाए ताकि जनता में भ्रम की स्थिति न बने।
सुप्रीम कोर्ट से अपील
इसके अलावा, दीवान ने मोहन भागवत के बयान का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था, "हम कब तक मस्जिदों में मंदिर ढूंढते रहेंगे?" इस पर दीवान ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि ऐसे बयान देने वालों के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि अभी तक किसी प्रकार का दरगाह में सर्वे का आदेश नहीं दिया गया है, और इस समय शांति बनाए रखना सबसे जरूरी है।
साथ ही, दीवान ने यह भी कहा कि 20 दिसंबर को माननीय न्यायालय में इस मामले की सुनवाई होगी, और तब ही कुछ ठोस निर्णय हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि अभी बयानबाजी करने से कोई फायदा नहीं, और यह सिर्फ जनता में भ्रम फैलाने का काम कर रही है। दीवान ने सभी से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और समाज में अमन-चैन और भाईचारे का माहौल बनाए रखें।