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SC-ST आरक्षण को लेकर भारत बंद का आह्वान, विरोध में निकाली गई रैली

एससी एसटी आरक्षण वर्गीकरण के विरोध में बुलाए गए भारत बंद का बाराँ और चूरू जिलों में व्यापक असर दिखा। सभी बाजार और प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रहे, और बंद को व्यापार संघ सहित विभिन्न संगठनों का समर्थन मिला। प्रशासन ने सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए, जिससे बंद शांतिपूर्ण रहा।

SC-ST आरक्षण को लेकर भारत बंद का आह्वान, विरोध में निकाली गई रैली

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति (SC) व जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर दिए गए फैसले के खिलाफ आज कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। जिसका असर राजस्थान के बाराँ और चूरू जिलों में देखने को मिला। बारां और चूरू में सुबह से ही सभी बाजार पूरी तरह से बंद हैं और इस बंदी का समर्थन व्यापार संघ, सभी व्यापारी मंडल, और विभिन्न संगठनों ने किया है। इस कारण जिला मुख्यालय के साथ-साथ जिले भर के सभी कस्बों में भी बाजार बंद रहे।

बारां जिला कलेक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर ने मौहाल को देखते हुए और बंदी को देखते हुए आदेश जारी कर सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया है। इसके अलावा सुरक्षा के मद्देनजर शराब की दुकानों को भी बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं। दोनों शहरों में बंदी के कारण सुबह से ही बाजारों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

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बारां जिला कलेक्टर ने की अपील

इसके साथ ही बारां जिला कलेक्टर और एसपी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। इस बंदी के दौरान भीम सेना के कार्यकर्ताओं ने बाजारों में घूमकर नारेबाजी की। तो वहीं चूरू जिले में भी एससी एसटी समाज के लोगों ने कोर्ट द्वारा आरक्षण संबंधी आदेशों के विरोध में शांतिपूर्ण बंद का आयोजन किया था।

चूरू में निकाली गई रैली

चूरू में जिला मुख्यालय पर इंद्रमणि पार्क से एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। यह रैली मुख्य बाजार से होते हुए कलेक्ट्रेट तक पहुंची। इस दौरान चूरू शहर का संपूर्ण बाजार बंद रहा, केवल मेडिकल स्टोर और दूध की दुकानों को बंद से बाहर रखा गया। इस रैली को शांतिपूर्ण निकालने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। हालांकि, रैली पूरी तरह से शांतिपूर्ण रही और प्रशासन ने इस बात का ध्यान रखा कि किसी भी प्रकार की हिंसा या उपद्रव न हो।

प्रशासन ने इस बंद को गंभीरता से लिया और सुरक्षा के सभी आवश्यक कदम उठाए, ताकि आम जनता को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। इस विरोध ने यह साबित कर दिया कि आरक्षण के मुद्दे पर समाज में कितना गहरा असंतोष है और सरकार को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।