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Mona Agarwal: पोलियो के साथ समाज के तानों से भी लड़ीं, पैरा ओलंपिक में ब्रॉन्ज जीतने वाली मोना अग्रवाल की कहानी

Mona Agarwal: पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने शुक्रवार को 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में  228.7 का स्कोर बनाकर तीसरा स्थान हासिल किया और भारत को कांस्य पदक दिलाया। 37 साल की पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने पेरिस पैरालंपिक में तीन पदक स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है।

Mona Agarwal: पोलियो के साथ समाज के तानों से भी लड़ीं, पैरा ओलंपिक में ब्रॉन्ज जीतने वाली मोना अग्रवाल की कहानी
Mona Agarwal

Mona Agarwal: पेरिस पैरा ओलंपिक की शुरुआत भारत के लिए बेहद शानदार रही है। देश की बेटियों ने विदेश में परचम लहराया है। पैरा ओलंपिक में शूटर मोना अग्रवाल ने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 में 228.7 स्कोर बनाकर तीसरा स्थान हासिल किया और ब्रॉज मेडल अपने नाम किया। राजस्थान की मोना को पीएम मोदी ने बधाई दी। यूं तो पैरा ओलंपिक में भाग देने वाले हर एथलीट की कहानी दिल झकझोर देने वाली होती है, लेकिन मोना अग्रवाल की कहानी प्रेरणा से कम नहीं है। 

पेरिस पैरा ओलंपिक में मोना ने जीता ब्रॉन्ज

पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने शुक्रवार को 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में  228.7 का स्कोर बनाकर तीसरा स्थान हासिल किया और भारत को कांस्य पदक दिलाया। 37 साल की पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने पेरिस पैरालंपिक में तीन पदक स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है। इंटरनेशनल टूर्नामेंट में लगातार विजयी प्रदर्शनों के बाद क्वालिफाई करने वाली मोना ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। अब वो मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन आर6 स्पर्धा और महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन आर8 स्पर्धा में भाग लेंगी।

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कौन हैं मोना अग्रवाल?

राजस्थान के सीकर में जन्मी मोना अग्रवाल का जीवन संघर्षों भरा रहा है। उन्हें बचपन से ही पोलियो की बीमारी के कारण थी, जिससे वो चलने में असमर्थ हो गई थीं। ये बीमारी तो उन्हें शारीरिक रुप से कमजोर दिखा रही थी, लेकिन लड़कियों के प्रति पूर्वाग्रह के कारण भी उन्हें समाज के तानों का सामना करना पड़ा, जो किसी के लिए भी मानसिक उलझन से कम नहीं था। मोना अग्रवाल अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं। पैरा-शूटर बनने के लिए वो जयपुर चली गईं। जहां उनकी दादी ने उन्हें मोटिवेट किया।

मोना न तमाम स्पोर्ट्स में आजमाया हाथ

मोना अग्रवाल को आज हम साहस का दूसरा नाम भी कह सकते हैं। व्हीलचेयर पर चलने की वजह से मोना ने पैरा एथलेटिक्स के बारे में सोचा। मोना ने शॉट पुट, डिस्कस, जेवलिन थ्रो और पावरलिफ्टिंग करने के बारे में सोचा। मोना ने स्टेट लेवल टूर्नामेंट में पहुंचकर अपनी पहचान बनाई। लेकिन मोना का शरीर एथलेटिक्स की कठोरता को झेलने में असमर्थ था। तब उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए 2021 में पैरा शूटिंग की ओर रुख किया।

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साल 2024 में जीता गोल्ड

साल 2023 क्रोएशिया के ओसिजेक में होने वाले डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप के लिए मोना अग्रवाल को चुना गया था, जहां उन्होंने पहली बार में ही कांस्य पदक जीता था। उसके बाद उन्होंने 2022 एशियाई पैरा खेलों और लीमा में 2023 डब्ल्यूएसपीएस चैंपियनशिप के जरिए पेरिस 2024 पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने का लक्ष्य रखा। लेकिन वो पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई थीं। उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित हुए डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप 2024 में सफलता हासिल की। इसमें उन्होंने 250.7 का कुल स्कोर दर्ज करके स्वर्ण पदक जीता था। अब पेरिस पैरा ओलंपिक में मोना ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है।