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Mood swings in women: बार-बार होता है मूड स्विंग? जानें वजह और कंट्रोल करने का तरीका...

Mood swings: ज्यादातर लोग यह समझते हैं कि बाइपोलर डिसऑर्डर ही मूड स्विंग है पर ऐसा नहीं है। इस बात में कोई शक नहीं है कि बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त मरीजों को मूड स्विंग होता है यानी उनके व्यवहार और भावनाओं में अचानक से बदलाव आते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मूड स्विंग के पीछे केवल यही कारण है।

Mood swings in women: बार-बार होता है मूड स्विंग? जानें वजह और कंट्रोल करने का तरीका...
Image Credit: Goggle

Mood Swings: ज्यादातर लोग यह समझते हैं कि बाइपोलर डिसऑर्डर ही मूड स्विंग है पर ऐसा नहीं है। इस बात में कोई शक नहीं है कि बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त मरीजों को मूड स्विंग होता है यानी उनके व्यवहार और भावनाओं में अचानक से बदलाव आते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मूड स्विंग के पीछे केवल यही कारण है। इसके पीछे कई अन्य कारण भी हैं, जिनको समझना बेहद जरूरी है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि क्या है मूड स्विंग? क्या है मूड स्विंग के लक्षण? मूड स्विंग के पीछे क्या कारण और उपचार हैं।

मूड स्विंग के कारण 

1 - पीएमडीडी यानी प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर

यह पीएमएस का एक ऐसा प्रकार है जो 5 से 6% महिला को ही प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में मूड बदलना भी आता है। वहीं ऐसी महिलाएं कभी डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं तो कभी उनमें चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है ऐसे में अगर यह महिलाएं तनाव को कम करने के साथ-साथ अपनी डाइट में बदलाव करेंगी तो मूड स्विंग के लक्षणों को रोका जा सकता है।

2 - तनाव के कारण

इस परेशानी का सबसे मुख्य कारण तनाव है। मूड स्विंग में चिंता और बेचैनी आपके शरीर को प्रभावित करती हैं। ऐसे में इंसान का व्यवहार बदलने लगता है वो चिड़चिड़ापन महसूस करता है। यही कारण होता है कि व्यक्ति के मूड में अचानक परिवर्तन आ जाता है और व्यक्ति लगातार उदास रहना शुरू कर देता है। ऐसे में स्ट्रेस को दूर करना बेहद जरूरी है।

3 - प्रेगनेंसी के कारण

जो महिलाएं गर्भवती हैं उनके शरीर में हॉर्मोंस की अधिकता ज्यादा होती है, जिसका सीधा असर उनके मूड पर पड़ता है। यही कारण होता है कि वह कभी रोने जैसा महसूस करते हैं तो कभी अकेलापन, कभी खुशी महसूस करते हैं तो कभी उदासी, गर्भवती महिला को कई तरह के शारीरिक बदलाव और भावनात्मक तनाव महसूस की समस्या और बढ़ जाती है।

4 - हॉर्मोन के असंतुलन के कारण

बता दें कि हार्मोन से जुड़ी सामान्य बीमारी हाइपोथायराइडिज्म में थायराइड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता है। इसका असर मूड पर देखने को मिलता है। इसके अलावा अगर आप हार्मोन थेरेपी ले रहे हैं, तब भी बिना किसी वजह के व्यक्ति उदास या गुस्सा महसूस करता है।

5 - मानसिक रोग से संबंधित समस्या के कारण

मानसिक कई ऐसी बीमारियां हैं जिनकी वजह से मूड स्विंग जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इन बीमारियों में बाइपोलर डिसऑर्डर डिप्रेशन, एडीएचडी यानि अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर आदि आते हैं। इनके कारण भी मूड स्विंग होता है। अगर इन विकारों का इलाज सही समय पर किया जाए तो इस समस्या को भी रोका जा सकता है।

मूड स्विंग का उपचार 

1 - स्ट्रेस को कम करें

मूड स्विंग का बड़ा कारण चिंता, तनाव और बेचैनी है। ऐसे में मूड को अच्छा करने के लिए स्ट्रेस को मैनेज करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। आप प्राणायाम को भी अपनी दिनचर्या में जोड़ सकते हैं। साथ ही आप मसाज थेरेपी के माध्यम से भी स्ट्रेस को कम कर सकते हैं।

2 - भरपूर मात्रा में नींद लेने से

रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है। इसके चलते बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही आप मूड को स्विंग करने से भी रोक सकते हैं।

3 - कैफीन, शुगर, अल्कोहल का सेवन करने से

जिन लोगों की डाइट में कैफीन, शुगर, अल्कोहल ज्यादा है वह तुरंत इन चीजों को अपनी डाइट से निकाल दें क्योंकि इसकी वजह से शरीर में घबराहट, बेचैनी बढ़ने लगती है। वहीं इनकी अधिकता से मूड स्विंग होने लगता है। खराब मोड को और खराब करने के लिए अल्कोहल एक बड़ा कारण है। 

4 - नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से

अपनी दिनचर्या में एक्सरसाइज को जोड़ें। ऐसा करने से आपके शरीर में फील गुड हार्मोन का निर्माण होता है, जिससे आपका मूड बेहतर होता है।