Sambhal Violence: पुलिस ने राहुल-प्रियंका के काफिले को संभल जाने से रोका, कहा - यह संविधान को नष्ट करने वाला भारत है
उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। हिंसा में पुलिस की फायरिंग से चार लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पीड़ितों से मिलने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गाजीपुर बॉर्डर पर रोक दिया। इस पर राहुल गांधी ने सरकार पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया।
उत्तर प्रदेश में संभल हिंसा से माहौल काफी गर्माया हुआ है, इसके अलावा विपक्ष भी जमकर निशाना साध रहा है। ऐसे में कांगेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी संभल हिंसा में घायल हुए लोगों से मिलने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने इनके काफिले को आगे जाने की इजाजत नहीं दी। पुलिस ने उनको गाजीपुर बॉर्डर पर रोक दिया, जिसके बाद वह दोनों दिल्ली लौट गए हैं। इस हिंसा प्रभावित संभल में 10 दिसंबर तक बाहरी लोगों के आने पर प्रतिबंध था, लेकिन इस रोक के बावजूद भी राहुल गांधी संभल मारे गए लोगों के परिजनों से व घायल लोगों से मिलना चाहते थे।
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पुलिस ने राहुल गांधी को संभल जाने से रोका
इसके बाद राहुल गांधी ने कहा, "हम संभल जाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पुलिस इजाजत नहीं दे रही है। विपक्ष के नेता के तौर पर जाना मेरा अधिकार है लेकिन फिर भी वे मुझे रोक रहे हैं। मैंने कहा कि मैं अकेले जाने को तैयार हूं, मैं पुलिस के साथ जाने को तैयार हूं लेकिन वे इस पर भी राजी नहीं हुए। अब वे कह रहे हैं कि अगर हम कुछ दिनों में वापस आते हैं, तो वे हमें जाने देंगे।''
इसके आगे उन्होंने कहा, ''यह विपक्ष के नेता के अधिकारों के खिलाफ है, उन्हें मुझे जाने देना चाहिए। यह संविधान के खिलाफ है, हम सिर्फ संभल जाना चाहते हैं, लोगों से मिलना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि वहां क्या हुआ। मुझे मेरे संवैधानिक अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। यह नया भारत है, यह संविधान को नष्ट करने वाला भारत है, हम लड़ते रहेंगे।"
प्रियंका गांधी ने संभल जाने पर कही ये बात
इस मामले पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं, उनका संवैधानिक अधिकार है उन्हें मिलना चाहिए। उनको संभल जाने की अनुमति दी जानी चाहिए थी। राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं, उनका संवैधानिक अधिकार है उन्हें इस तरह से रोका नहीं जा सकता। उनका संवैधानिक अधिकार है उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए कि वो पीड़ितों से मिलने जाए। उन्होंने ये भी कहा कि वह यूपी पुलिस के साथ अकेले चले जाएंगे लेकिन यह भी करने के लिए तैयार नहीं हुए। पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है।"
अखिलेश यादव ने प्रशासन को लेकर कही ये बात
इसके अलावा सपा पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "प्रशासन ने भाजपा के इशारे पर इस घटना को अंजाम दिया। किसी भी पार्टी के नेता को वहां जाने नहीं दिया जा रहा है। वे क्या छिपाना चाहते हैं? प्रशासन की भाषा देखिए। क्या लोकतंत्र में अधिकारियों को इस तरह का व्यवहार और भाषा की अनुमति दी जा सकती है? पता नहीं वे 10 तारीख तक क्या-क्या छिपाएंगे और कितना दबाव बनाएंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में पुलिस सिर्फ लोगों को फंसाने का काम कर रही है, न्याय दिलाने का नहीं।"
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बनी मुगलकाल की जामा मस्जिद के सर्वे के लिए कोर्ट ने आदेश दिया था। जिसके बाद से ही माहौल काफी गर्माया हुआ है और कोर्ट के आदेश का विरोध किया जा जा रहा है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव और आगजनी भी की थी, जिसमें पुलिस द्वारा फायरिंग के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई थी।
बता दें कि हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि जामा मस्जिद में श्री हरिहर मंदिर है और इस दावे के आधार पर कोर्ट ने मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष के एक स्थानीय वकील गोपाल शर्मा ने कहा था कि कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी से इस बात की पुष्टि हो जाती है कि मस्जिद की जगह पर हरिहर मंदिर था, जिसको मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कर दिया था। जिस पर महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने 19 नवंबर को सिविल कोर्ट याचिका दायर कर सर्वे की मांग की थी और इस पर कोर्ट ने 7 दिन में सर्वे रिपोर्ट की मांग की थी।
क्या है विवाद की वजह
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोर्ट के इस सर्वेक्षण के आदेश मुस्लिम समुदाय में काफी असंतोष था। जब अधिकारी इस सर्वेक्षण को करने गए तो मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थे स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई थी।