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काल गणना के लिए बेहद जरूरी है उज्जैन, यहां कुंभ को क्यों कहते हैं सिंहस्थ कुंभ, सवालों के चाहिए जवाब तो इस आर्टकल को जरू

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन काफी प्राचीन नगर है. पुराणों में भी कहीं-कहीं इसे अवंतिकापुरी के नाम से जाना जाता है. महाकाल मंदिर और कुंभ के अलावा भी यह शहर राजा विक्रमादित्य की वजह से भी जाना जाता है. प्राचीनकाल में यहां राज करने वाले राजा विक्रमादित्य ने हिंदुओं के लिए ऐतिहासिक कैलेंडर विक्रम संवत का निर्माण कराया था जिसे आज हिन्दू पंचांग के नाम से भी जाना जाता है.

काल गणना के लिए बेहद जरूरी है उज्जैन, यहां कुंभ को क्यों कहते हैं सिंहस्थ कुंभ, सवालों के चाहिए जवाब तो इस आर्टकल को जरू

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन काफी प्राचीन नगर है. पुराणों में भी कहीं-कहीं इसे अवंतिकापुरी के नाम से जाना जाता है. महाकाल मंदिर और कुंभ के अलावा भी यह शहर राजा विक्रमादित्य की वजह से भी जाना जाता है. प्राचीनकाल में यहां राज करने वाले राजा विक्रमादित्य ने हिंदुओं के लिए ऐतिहासिक कैलेंडर विक्रम संवत का निर्माण कराया था जिसे आज हिन्दू पंचांग के नाम से भी जाना जाता है. इस पंचांग के आधार पर ही भारत में व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं. भारत के अलावा इस संवत को नेपाल में भी मान्यता मिली है.

उज्जैन के कुंभ को कहते हैं सिंहस्थ

उज्जैन शहर देश के 51 शक्तिपीठों और चार कुंभ स्थलों में से एक है. यहां हर 12 साल में पूर्ण कुंभ और हर 6 साल में अर्द्धकुंभ मेला लगता है. उज्जैन में होने वाले कुंभ मेले को सिंहस्थ कहते हैं. सिंहस्थ का संबंध सिंह राशि से है. सिंहस्थ कुंभ के समय सिंह राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होता है.

उज्जैन को कहते हैं कालीदास की नगरी

उज्जैन शहर के कई प्राचीन नाम भी हैं. इस शहर को शिप्रा के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा यह नगरी महान कवि कालिदास की नगरी के नाम से भी प्रचलित है. उज्जैन को पहले अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा के नाम से भी जाना जाता था। महाकाल मंदिर के अलावा यहां गणेश मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, गोपाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर,काल भैरव मंदिर भी प्रसिद्ध हैं.