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लद्दाख में महीनों तक बर्फ में दबे रहे 3 सैन्यकर्मियों के शव बरामद, हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल ने मिशन किया पूरा

हवलदार रोहित कुमार, हवलदार ठाकुर बहादुर आले और नायक गौतम राजवंशी के शव पिछले लगभग नौ महीनों से एक गहरी दरार में फंसे हुए थे और बर्फ की मोटी परतों और भारी मात्रा में बर्फ के नीचे दबे हुए थे। जिन्हें अब बरामद कर लिया गया है।

लद्दाख में महीनों तक बर्फ में दबे रहे 3 सैन्यकर्मियों के शव बरामद, हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल ने मिशन किया पूरा
सैनिको शव निकालते सैनिक

अक्टूबर, 2023 में लद्दाख में हिमस्खलन की वजह से 38 भारतीय सैनिक फंस गए थे। सेना ने बचाव अभियान चलाकर कई सैनिकों को बचाया और एक का शव बरामद किया। हालांकि, तीन सैनिक लापता हो गए थे और बर्फ में दबे हुए थे। अब करीब नौ महीने बाद इन तीनों सैनिकों के शव बरामद हुए हैं। इनकी पहचान हवलदार रोहित, हवलदार ठाकुर बहादुर आले और नायक गौतम राजवंशी के रूप में हुई है। वे बर्फीली खाई वाले इलाके में बर्फ की परतों के नीचे दबे हुए थे। उन्हें खोजने के लिए शुरू में विशेष राहत और बचाव अभियान चलाया गया था, लेकिन उस समय यह असफल रहा था। करीब नौ महीने बाद अब उनके शव बर्फ से बरामद हुए हैं।

हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के पर्वतारोहियों ने मिशन किया 

हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने इस सैन्य मिशन का नेतृत्व किया। मिशन में शामिल वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने बताया कि यह उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन था।

लद्दाख में सेना के अधिकारियों ने कहा

सेना के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने लगभग 18,700 फीट की ऊंचाई पर नौ दिनों तक हर दिन 10 से 12 घंटे तक लगातार खुदाई की। उन्होंने ऑपरेशन पूरा करने के लिए कई टन बर्फ हटाई। खराब मौसम के कारण उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन कठिनाइयों के बावजूद सेना तीन लापता सैनिकों के शवों को खोजने में सफल रही। तीन जवानों में से एक का पार्थिव शरीर उसके परिजनों को दे दिया गया है और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। किन्नौर जिले के शहीद रोहित का पार्थिव शरीर उनके गृह गांव तरांडा लाया गया, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। 18 जून को लापता सैनिकों के शवों को बरामद करने के लिए 'ऑपरेशन आरटीजी (रोहित, ठाकुर, गौतम)' शुरू किया गया। उनके सम्मान में नामित इस मिशन में 88 विशेषज्ञ पर्वतारोही शामिल थे। खुंबाथांग से 40 किलोमीटर पहले एक शिविर स्थापित किया गया था, जिसमें दो हेलीकॉप्टर तैयार थे। 14,790 फीट की ऊंचाई और सड़क से 13 किलोमीटर दूर स्थित बेस कैंप की देखरेख HAWS के कमांडेंट मेजर जनरल ब्रूस फर्नांडीस ने की थी।