Haryana Election: तो क्या विनेश के लिए मुश्किल हो गया सियासी दंगल जीतना, मिल रही अब इतनी चुनौतियां ?
Vinesh Phogat Julana Seat: हरियाणा विधानसभा चुनावों में जुलाना सीट सबसे चर्चित है जहां कुश्ती की स्टार विनेश फोगाट कांग्रेस से चुनाव लड़ रही हैं। इस सीट पर आप, बीजेपी, और जेजेपी के प्रत्याशी विनेश को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। जानें जुलाना सीट के सियासी समीकरणों और चुनाव की तस्वीर।
हरियाणा चुनाव में कुछ ही दिनों का वक्त बचा है,अगर सबसे ज्यादा चर्चित सीट की बात करें तो ये जुलाना है। जहां कुश्ती के अखाड़े से राजनीतिक मैदान में किस्मत आजमा रही विनेश फोगाट उम्मीदवार है,हालांकि चुनाव से पहले ही वह मुश्किलों में फंसती नजर आ रही है। इस सीट पर मुकाबला टाइट है। कांग्रेस प्रत्याशी को फाइट देने के लिए आप और बीजेपी ने पूरा जोर लगाया है। जबकि जेजेपी भी किसी से पीछे नहीं है। इस सीट पर राजनीतिक एक्सपर्ट्स निगाहें टिकाएं हैं। बता दें, विनेश 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के कारण ओलंपिक फाइनल नहीं खेल पाई थीं। उनके लिए देशभर में साहूनिभूति की लहर थी, जिसका फायदा कांग्रेस उठाना चाह रही है। कयास थे कि जुलाना विनेश की ससुराल है, ऐसे में यहां वह चुनाव जीत सकती हैं लेकिन असल में देखा जाये तो ये आसान नहीं है। यहां पर विनेश फोगाट को अच्छी चुनौती मिल रही है।
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विनेश फोगाट के सामने कौन सी चुनौतियां
कांग्रेस और विनेश फोगाट के सामने सबसे बड़ी चुनौती हार के सूखे को खत्म करना है। 15 सालों ये सीट कभी कांग्रेस के खाते में नहीं गई। वहीं,वोट बिखराव के लिए अन्य दलों ने भी जाट प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। ऐसे में एक्सपर्ट्स जाट वोटों में बंटवारे की आशंका जा रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो ये विनेश फोगाट के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। तीसरी समस्या खुद कांग्रेस की गुटबाजी है। दरअसल, इस सीट से कई नेता चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने विनेश को मैदान में उतारकर सभी को शांत कर दिया। आलाकमान के इस फैसले से कई नेता नाराज भी हैं।
पहलवान को मिलेगी पहलवान से चुनौती
बता दें, इस बार हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी सक्रिय है। जुलाना सीट से उसने भारत के लिए पहला डब्लूडब्लूई खेलने वाली कविता दलाल को उम्मीदवार बनाया है,जो पहलवान रह चुकी हैं। इतना ही नहीं, वह लंबे वक्त से जुलाना में एक्टिव है। इसके साथ जुलाना भले विनेश फोगाट का सुसराल हो लेकिन यहां से उनका कोई सीधा जुड़ाव नहीं है। जबकि कविता दलाल, अमरजीत ढांडा, सुरेंद्र लाठर जमीनी स्तर से जुड़े हुए है। लाठर बीजेपी से टिकट मांग रहे थे, लेकिन टिकट न मिलने पर वह इनेलो-बसपा से प्रत्याशी बन गए।
जुलाना सीट पर समझे सियासी समीकरण
जुलाना सीट पर कांग्रेस को कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। जबकि इनेलो और जेजेपी यहां पर मजबूत पकड़ रखती है। 2009-2014 मे इनेलो से यहां चुनाव जीाता था। जबकि 2019 में जेजपी प्रत्याशी अमरजीत ढांडा 24 हजार वोटो से जीते थे। इस बार उन्हें सांसद चंद्रशेखर का समर्थन मिल हुआ है। यहां पर लगभग 32 हजार दलित वोटर्स हैं,अगर ये ढांडा के साथ जाते हैं तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं, बीजेपी की बात करें तो पार्टी ने जाट वोटर्स को न साधते देते हुए गैट जाट पर दांव लगाया है। बीजेपी ने ओबीसी समाज से आने वाले कैप्टन योगेश बैरागी को मैदान में उतारा है। बहरहाल, 70 फीसदी जाट मतदाताओं वाली जुलाना सीट पर अभी तक जाट समुदाय के प्रत्याशी ने जीत हासिल की है लेकिन इस बार मुकाबला थोड़ा दिलचस्प हो गया है। अगर कांग्रेस के वोटों का बिखराव होता है तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा। वहीं, कांग्रेस के लिए ये सीट जीतना आसान नहीं होगा।