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Godrej सफ़रनामा: आजाद भारत के पहले चुनाव से लेकर चंद्रयान तक में गोदरेज ग्रुप का रहा महत्वपूर्ण योगदान

भारत को आजादी मिलने के बाद, साल 1951 में देश के पहले लोकसभा चुनाव में गोदरेज ने पहला बैलेट बॉक्स बनाया था। जिसमें देश की जनता अपने मत डालती थी। सिर्फ बैलेट बॉक्स ही नहीं, बल्कि पहला पूरी तरह से भारतीय टाइपराइटर बनाने का श्रेय भी गोदरेज को ही जाता है, जिसे गोदरेज ने Boyce के साथ मिलकर 1955 में बनाकर पेश किया था। गोदरेज ही पहली ऐसी भारतीय ऐसी कंपनी थी, जिसने 1958 में देश में फ्रिज बनाया था।चंद्रयान-3 मिशन में कंपनी ने यान के रॉकेट इंजन और थ्रस्टर को गोदरेज एयरोस्पेस द्वारा बनाया गया।

Godrej सफ़रनामा: आजाद भारत के पहले चुनाव से लेकर चंद्रयान तक में गोदरेज ग्रुप का रहा महत्वपूर्ण योगदान
आजाद भारत के पहले चुनाव से लेकर चंद्रयान तक में गोदरेज ग्रुप का रहा महत्वपूर्ण योगदान

देश के सबसे पुराने और बड़े कॉरपोरेट घरानों में शामिल गोदरेज परिवार में बंटवारा होने वाला है। जा रहा है। गोदरेज परिवार में करीब 7 बिलियन के लॉक-टू-लैंड डेवलपमेंट ग्रुप को बांटने के लिए एक समझौता किया गया है। देश की ये कंपनी करीब 127 साल से भी पुरानी है, अपनी क्वालिटी और काम के लिए गोदरेज अंग्रेजो के बीच भी काफी फेमस रही है। वैसे गोदरेज आम से लेकर खास के बीच किसी की पहचान की मोहताज नहीं है। गोदरेज अलमीरा का पर्याय बन चुकी है। लेकिन इस ग्रुप की शुरुआत लोगों के सामान की सुरक्षा के मद्देनजर ताला और चाबी बनाने से की गई थी। जिसके बाद अंग्रेजों के लिए तिजोरी बनाते-बनाते आज इस ग्रुप का नाम चांदयान के साथ चांद तक जा पहुंचा है। गोदरेज ने भारत के चंद्रयान मिशन में इसका बड़ा रोल निभाया है। क्या है कंपनी का इतिहास, इसके दिलचस्प सफर के बारे में चलिए विस्तार से जानते हैं...

90 देशों में कारोबार
ताला-चाबी हो या फिर अलमीरा या तिजोरी, साबुन से लेकर लग्जरी फ्लैट तक गोदरेज ग्रुप का कारोबार फैला है। गोदरेज ग्रुप देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में शामिल है और इसका कारोबार दुनिया के 90 देशों में फैला है। जोकि अब दो हिस्सों में बंट गया है। एक हिस्सा आदि गोदरेज और नादिर गोदरेज को मिला है, जबकि दूसरा हिस्सा उनके चचेरे भाई जमशेद गोदरेज और बहन स्मिता को दिया गया है। आपको बता दें, गोदरेज ग्रुप की मार्केट वैल्यू करीब 2.36 लाख करोड़ रुपये है।

1897 में रखी गई थी गोदरेज की नींव
Godrej Group की स्थापना भारत को आजादी से पहले साल 1897 में आर्देशर गोदरेज और उनके भाई पिरोजशा गोदरेज ने रखी थी। इसकी शरुआत सर्जरी ब्लेड बनाने से हुई थी, लेकिन ये ज्यादा चल नहीं सका। फिर देशभर में घरों में चोरी की खबरों के बीच आर्देशर गोदरेज के मन में सुरक्षा की दृष्टि से कुछ नया करने का आइडिया आया और ये ताला-चाबी बनाने का था। हालांकि, उस समय भी ताला-चाबी बनाए जाते थे, लेकिन गोदरेज ने अपने लॉक्स को और ज्यादा मजबूत बनाकर पेश किया। अपने भाई के साथ उन्होंने इस कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग बड़े स्तर पर शुरू कर दी और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

अंग्रेजों का भी था गोदरेज पर विश्वास
गोदरेज नाम से मजबूत तिजोरियां बनाने की शुरुआत हुई। उस समय भारत पर राज करने वाले अंग्रेजों भी इसके फैन हो गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोदरेज कंपनी की तिजोरियों पर अंग्रेजों को भी पूरा भरोसा था। साल 1911 में किंग जॉर्ज पंचम और रानी मेरी ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान अपने कीमती सामानों को रखने के लिए गोदरेज की तिजोरियों को ही चुना था। जब देश में स्वदेशी आंदोलन जोरों पर था, तब कंपनी के संस्थापक आर्देशर गोदरेज भी इससे जुड़े थे।

Godrej ने आजाद भारत को दीं थी ये चीजें 
टाटा ग्रुप की तरह ही गोदरेज ग्रुप ने भी देश को कई चीजें पहली बार दी हैं। भारत को आजादी मिलने के बाद, साल 1951 में देश के पहले लोकसभा चुनाव में भी गोदरेज ने अपना योगदान दिया था। गोदरेज ने पहला बैलेट बॉक्स बनाया था, जिसमें देश की जनता अपने मत डालती थी। सिर्फ बैलेट बॉक्स ही नहीं, बल्कि पहला पूरी तरह से भारतीय टाइपराइटर बनाने का श्रेय भी गोदरेज को ही जाता है, जिसे गोदरेज ने Boyce के साथ मिलकर 1955 में बनाकर पेश किया था। गोदरेज ही पहली ऐसी भारतीय ऐसी कंपनी थी, जिसने 1958 में देश में फ्रिज बनाया था।

गोदरेज के बढ़ते कारोबार को पंख तब लगे जब आदि गोदरेज साल 1963 में Godrej Industries में एंट्री मारी और काम करने के पुराने ढर्रे को बदलने की शुरुआत की। अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा ढर्रा ही कंपनी में चल रहा था, लेकिन फिर आदि गोदरेज ने कंपनी को आधुनिक बनाने के लिए खूब मेहनत की। अमेरिका के MIT से बिजनेस मैनेजमेंट पढ़कर लौटे आदि गोदरेज ने कंपनी की ब्रांड इमेज के साथ एक इमोशनल कनेक्ट जोड़ते हुए अपने कदमों को आगे बढ़ाया। जिसके बाद देखते ही देखते कंपनी बुलंदियों पर पहुंच गई। मौजूदा समय में गोदरेज ग्रुप की पांच कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। इनमें गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रोपर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफ साइंसेज शामिल हैं।

चंद्रयान-3 में निभाया अहम रोल
गोदरेज एयरोस्पेस का भारत के मून मिशन से भी नाता रहा है। साल 2008 में चंद्रयान-1 के लिए लॉन्च व्हीकल और लूनर ऑर्बिटर तैयार किया था, तो वहीं चंद्रयान 2 के लिए भी उपकरण मुहैया कराए थे। हालांकि, ये सफल नहीं हो सका था, लेकिन बीते साल 2023 में भारतीय मून मिशन को सफलता मिली थी, जब Chandrayaan-3 ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की थी। इस सफलता में भी गोदरेज का योगदान शामिल रहा था। चंद्रयान-3 मिशन में कंपनी ने यान के रॉकेट इंजन और थ्रस्टर को गोदरेज एयरोस्पेस द्वारा बनाया गया।