Jodhpur News: दुनिया का सबसे अनोखा मेला, जहां 30 लाख के गहनों में लदी महिलाएं, क्या है इतिहास जानें
Rajasthan: जोधपुर मे इन दिनों खेजड़ली गांव में मेला आयोजित किया गया है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। सचिन पायलट भी मेले में शिरकत करने पहुंचे। ऐसे में जाने मेले से जुड़ा दिलचस्प इतिहास।
जोधुपर में इन दिनों दुनियाभर में फेमस खेजड़ली शहीद मेला चल रहा है। खेजड़ली गांव का ये अनोखा मेला देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। जहां बिश्नोई समाज के लोगों भगवान जांभोजी की पूजा-अर्चना की साथ ही मां अमृता देवी और 363 शहीदों के बलिदान को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। बता दें, इस मेले का इतिहास 1730 ईस्वी से जुड़ा हुआ है। जब खेजड़ली की धरती पर मां अमृता देवी ने 363 लोगों के साथ मिलकर बलिदान दिया था। ये बलिदान हरे पेड़ की रक्षा के लिए था, जिसने प्रकृति सरंक्षण का उदाहरण पेश किया था।
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अमृता देवी ने पेश की अनोखी मिसाल
1730 ईस्वी में न तो प्रदूषण था न ही आज की तरह ग्लोबल वॉर्मिंग लेकिन अमृत देवी ने पर्यावरण को बचाने के लिए बलिदान दे दिया। उनका बलिदान इसलिए भी खास है क्योंकि खेजड़ली गांव में पहला चिपको आंदोलन देखने को मिला,जो पर्यावरण बचाओ अभियान में मील का पत्थर साबित हुआ। उस वक्त लोगों को पर्यावरण का मतलब भी नहीं पता था लेकिन अमृता देवी ने हरे पेड़ को बचाने के लिए अलग मिसाल पेश की।
कैसे हुई खेजड़ली मेले की शुरुआत
कहा जाता है,खेजड़ली गांव कभी हरा-भरा हुआ करता था, यहां पर पेडों की संख्या लाखों में थे, लेकिन एक बार राजपरिवार के कुछ लोग पेड़ काटने आए थे ये बात अमृता देवी को नागवार गुजरी और उन्होंने पेड़ नहीं कटने दिया। गुस्साए कामगारों ने अमृता देवी को काट डाला था जिसके बाद गांव के 363 लोगों ने पेड़ बचाने के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। जैसे ही ये जानकारी राजपरिवार को मिली तो राजा ने अपना आदेश वापस ले लिया।
मेले मे सोने के जेवरी से लदी महिलाएं
बता दें, पेड़ को बचाने के लिए 363 लोगों के बलिदान को राजस्थान में खडाना कहा जाता है। जहां हर साल खेजड़ली खडाना मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण बचाना है। बिश्नोई समाज अमृता देवी के बलिदान को नारियल हवन के जरिए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मेले में सबसे ज्यादा ध्यान महिलाएं खींचती है। लाल सुर्ख जोड़ा, सोने के जेवर देख हर कोई हैरान रह जाता है। खास बात है कि वह नहीं कोई ऐसे-वैसे नहीं बल्कि 30-40 लाख के गहने पहनती हैं।
मेले को लेकर अलग मान्यता
मान्यता है, खेजड़ी खड़ाना के मेले में अमृता देवी और 363 लोग सज-धजकर शहीद हुए थे। यही वजह है कि बिश्नोई समाज के पुरुष सफेद कपड़े तो महिलाएं लाल जोड़ा पहनकर श्रंगार करती हैं। इस मेले में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी शामिल हुए। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि इतने सारे गहने पहले इससे पहले कभी नहीं देखे। संबोधन में कहा कि 'खेजड़ली बलिदान दिवस पर समस्त वीर-वीरांगनाओं की शहादत को हृदय से नमन। महान बलिदानियों का पर्यावरण के प्रति समर्पण सदैव आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहेगा।पर्यावरण की रक्षा के लिए यह बलिदान मारवाड़ की भूमि की अलग ही शौर्य गाथा को दर्शाता है जिससे प्रेरणा लेकर हम पर्यावरण और समाज कल्याण के लिए अपना योगदान दें।'