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उदयपुर में भगवान के दर्शन को लेकर राजघरानों में हुआ संग्राम! तनाव और खींचतान का बना हुआ है माहौल, जानें पूरा मामला

राजस्थान के उदयपुर में पूर्व राज परिवार के बीच हुए विवाद के बीच सोमवार को हुए पथराव के बाद दूसरे दिन फिलहाल शांति है। दोनों पक्षों के बीच तनाव के चलते जगदीश चौक से सिटी पैलेस जाने वाला पूरा रास्ता छावनी बना हुआ है। भारी पुलिस जाब्ता तैनात है।

उदयपुर में भगवान के दर्शन को लेकर राजघरानों में हुआ संग्राम! तनाव और खींचतान का बना हुआ है माहौल, जानें पूरा मामला

राजस्थान में राजघरानों से लेकर प्राचीन धरोवरों को विरासत के तौर पर देखा जाता है। सभी परंपराओं और नियमों को हर तरह से पालन किया जाता है। लेकिन इसी बीच राजघरानों के बीच विवाद की खबर सामने आई है। जिसके बाद से शांति की जगह तनाव ने ले ली और टूरिस्टों की जगह जवानों ने ले ली। जिसके बाद जगह-जगह पुलिस बैरिकेडिंग लग गई और इलाका छावनी में तब्दील हो गया। पूरा मामला क्या है, किस राजघराने की बात हो रही है, क्यों ये मुद्दा इतना संजीदा हो गया है, चलिए आपको विस्तार में बताते हैं....

उदयपुर राजपरिवार में विवाद, सिटी पैलेस बना छावनी

राजस्थान के उदयपुर में पूर्व राज परिवार के बीच हुए विवाद के बीच सोमवार को हुए पथराव के बाद दूसरे दिन फिलहाल शांति है। दोनों पक्षों के बीच तनाव के चलते जगदीश चौक से सिटी पैलेस जाने वाला पूरा रास्ता छावनी बना हुआ है। भारी पुलिस जाब्ता तैनात है। पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेडिंग लगा रखी है। मौके पर कई थानों के थानाधिकारी मौजूद हैं। विवाद के दूसरे दिन नाथद्वारा से विधायक और पूर्व राज परिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ का रिएक्शन भी सामने आया है। उन्होंने समोर बाग में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिला प्रशासन दर्शन का भी इंतजाम नहीं कर पाया, सिर्फ दर्शन करने की बात थी।

आखिर क्यों हुआ ये विवाद?

विश्वराज सिंह मेवाड द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, वो अपनी राजशाही निर्वहन करने के लिए धूनी माता का दर्शन करने के लिए सिटी पैलेस जाना चाहते थे। लेकिन प्रशासन की ढिलाई के चलते सिटी पैलेस के अंदर नहीं जा पाए, जबकि उनकी मंशा सिर्फ दर्शन की थी। उन्होंने बताया कि सिटी पैलेस में और खास तौर पर धार्मिक स्थान पर जाने से किसी को नहीं रोका जा सकता। अपने परिवार की परंपरा का निर्वहन करते हुए दर्शन करना चाहते हैं। जो उनका रॉयल फैमिली के सदस्य होने के नाते पूरा हक बनता है।

चित्तौड़गढ़ में महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद सोमवार को विश्वराज सिंह मेवाड़ का तिलक दस्तूर कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इसके बाद देव दर्शन कार्यक्रम के तहत विश्वराज सिंह उदयपुर के सिटी पैलेस में धूणीमाता के दर्शन करना चाहते थे। लेकिन सिटी पैलेस पर काबिज अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह के विरोध के बाद पुलिस ने बैरिकेडिंग करते हुए सिटी पैलेस को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर रखा था। शाम 5:30 बजे से रात 1:30 बजे तक दो अलग-अलग जगह पर चले हंगामा के बावजूद पुलिस और समर्थ को के बीच कई बार झड़प हुई। इस दौरान सिटी पैलेस की ओर से हुए पथराव से पांच लोग घायल भी हो गए।

सालों से चल रहा है ये प्रॉपर्टी विवाद

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 तक राजघराने की कई प्रॉपर्टी को लीज पर दे दिया था। कुछ प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी बेच दी। इनमें लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम जैसी बेशकीमती प्रॉपर्टीज शामिल थीं। ये सभी प्रॉपर्टी राजघराने की ओर से स्थापित एक कंपनी को ट्रांसफर हो गई थीं। यहां से ही विवाद की शुरूआत हुई। पिता के फैसले से नाराज होकर महेंद्र सिंह मेवाड़ ने 1983 में भगवत सिंह के खिलाफ न्यायालय में शरण ली। महेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा कि रूल ऑफ प्रोइमोजेनीचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को सब में बराबर बांटा जाए।

जानकारी के मुताबिक, रूल ऑफ प्राइमोजेनीचर आजादी के बाद लागू हुआ था, जिसका मतलब था कि जो परिवार का बड़ा बेटा होगा, वह राजा बनेगा। स्टेट की सारी संपत्ति उसी के पास होगी। अपने बेटे के केस फाइल करने से भगवत सिंह नाराज हो गए। महाराणा भगवत सिंह ने बेटे के केस पर कोर्ट में जवाब दिया कि इन सभी प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं हो सकता। यह इंपोर्टेबल एस्टेट यानी अविभाजीय है। महाराणा भगवत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया। 3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह का निधन हो गया।