मंदिर-मस्जिद विवाद पर गरमाई सियासत, ओवैसी ने किया तंज और अखिलेश ने सरकार को घेरा
बदायूं की जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर विवाद पर अदालत में सुनवाई 10 दिसंबर तक टल गई है। इस मामले में हिंदू महासभा ने 2022 में मस्जिद परिसर में मंदिर होने का दावा किया था। संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा ने राजनीतिक बहस को और गरमा दिया है। ओवैसी और अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखे आरोप लगाए हैं, जिससे संसद का शीतकालीन सत्र भी प्रभावित हुआ।
बदायूं की जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर विवाद पर मंगलवार को होने वाली सुनवाई टल गई है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। इसके पहले शनिवार को हुई सुनवाई में जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने अपना पक्ष रखा था। हिंदू महासभा ने 2022 में मस्जिद परिसर में मंदिर के अस्तित्व होने का दावा करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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संभल हिंसा पर सियासी हलचल हुई तेज
तो वहीं संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा ने राजनीतिक माहौल काफी गर्मा दिया है। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर तंज कसते हुए कहा था कि देश की नई पीढ़ी को "एआई" की पढ़ाई के बजाय "एएसआई" की खोदाई में उलझाया जा रहा है। ओवैसी ने मोदी सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि हिंदुत्ववादी संगठनों को रोकना देश की शांति और एकता के लिए आवश्यक है।
इसके अलावा आज मंगलवार को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने संभल हिंसा को एक "सुनियोजित साजिश" करार देते हुए कहा कि सरकार इस तरह की घटनाओं से जनता का ध्यान अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाना चाहती है। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बलप्रयोग किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे।
मंदिर-मस्जिद विवाद पर बहस जारी
इस मामले में कोर्ट में हिंदू महासभा के वकील ने दावा किया कि जामा मस्जिद के स्थान पर नीलकंठ महादेव मंदिर था। तो वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि मस्जिद साढ़े आठ सौ साल पुरानी है और मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है। इस बहस के दौरान कोर्ट में दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क भी प्रस्तुत किए थे।