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किस कानून के तहत सांसद और मंत्री को मिलता है आवास ? क्या है बंगला और अपार्टमेंट मिलने की कैटेगिरी

मोदी सरकार 3.0 में नरेंद्र मोदी समेत 72 मंत्रियों ने शपथ ली है. सभी मंत्री और सांसदों को जल्द नए आवास आवंटित किए जाएंगे. पुराने के मंत्रियों और सांसदों के पास तो अपने पुराने आवास रहेंगे,. लेकिन नए सासदों और मंत्रियों को किस आधार में आवास किए जाते है. आइए जानतें है.

किस कानून के तहत सांसद और मंत्री को मिलता है आवास ? क्या है बंगला और अपार्टमेंट मिलने की कैटेगिरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 72 मंत्रियों के साथ 9 जून को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में शपथ ली. जिसके बाद सांसदों और मंत्रियों को दिल्ली में आवास आवंटित किए जाएंगे. पुरान मंत्रियों और सांसदों के पास तो अपने वहीं पुराने आवास रहेंगे. लेकिन नए सांसदों को किस आधार पर आवास आवंटित किए जाते है ? आपको बता दें कि सांसदों को वरिष्ठता के आधार पर बंगलों का आवंटन किया जाता है. सभी सांसदो को दिल्ली के लुटियंस जोन में आवास दिए जाते है. आवास का आवंटन जनरल पूल रेजिडेंशियल एकोमोडेशन एक्ट के तहत किया जाता है. 

ये विभाग करता है आवास आवंटित   

केंद्रीय और शहरी निभाग के मंत्रालय के तहत साल 1922 में एक विभाग बनाया गया था. जिसका नाम  डायरेक्टरेट ऑफ स्टेटस. इस विभाग के पास देश भर में क्रेंद्र सरकार की संपत्तियों की देख रेख करनी की जिम्मेदारी है. ये विभाग सांसद और मंत्रियों के आवास की देख रख भी करता है. सांसदों को घर आवंटन और खाली कराने का जिम्मा भी इस विभाग के साथ पास होता है. लेकिन सांसदों को आवास आवंटन करने में  लोकसभा और राज्यसभा की आवासीय समिति भी बड़ी भूमिका निभाती है. आवास का आवंटन जनरल पूल रेजिडेंशियल एकोमोडेशन एक्ट के तहत किया जाता है.

दिल्ली में यहां मिलते हैं सरकारी आवास

दिल्ली के लुटियंस जोन में 17 तरह के सरकारी कोठियां, घर, हॉस्टल, फ्लैट और गेस्ट हाउस हैं. सेंट्रल दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, विश्वंभर दास मार्ग, मीना बाग, बाबा खड़ग सिंह मार्ग, तिलक लेन और विट्ठल भाई पटेल हाउस में सरकारी आवास मौजूद हैं, जो कैबिनेट, राज्य मंत्रियों और सांसदों को आवंटित किए जाते हैं.

कुल आवासों की संख्या 3,959 बताई जाती है, जिनमें से लोकसभा सदस्यों के लिए कुल 517 आवास उपलब्ध हैं, जिनमें से 159 बंगले हैं. इनके अलावा 37 ट्विन फ्लैट हैं. 193 सिंगल फ्लैट, बहुमंजिला इमारतों में 96 फ्लैट और सिंगल रेगुलर हाउस 32 हैं.

वरिष्ठ सांसद को मिलता है कैबिनेट मंत्री जैसा बंगला

सरकारी आवास वरिष्ठता औऱ कैटगरी के आधार पर दिए जाते है. इसमें सबसे छोटे टाइप 1 से 4 तक के आवास केंद्रीय कर्मचारियों और अधिकारियों को दिए जाते हैं. इसके बाद टाइप 6 से लेकर 8 तक के आवास कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्रियों और सांसदों के दिए जाते हैं. पहली सासंद चुनकर आए नेता को टाइप 5 बंगला दिया जाता है. एक बार से ज्यादा बार सांसद बने नेता को टाइप 7 से 8 तक के बंगले मिलते है. यही टाइप-VIII वाला बंगला कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त आयोग के अध्यक्ष को भी आवंटित किया जाता है.   

  टाइप 8 का बंगला होता सबसे बड़ा

टाइप 8 के बंगले को सबसे अच्छे आवास में से एक माना जाता है. ये बंगले 3 एकड़ क्षेत्रफल में फैले होते है. इसकी मेन बिल्डिंग में पांच बेडरूम होते हैं. इसके अलावा एक हॉल, एक डायनिंग रूम और एक स्टडी रूम भी होता है. गेस्ट के लिए एक रूम और एक सर्वेन्ट क्वार्टर भी होता है. ऐसे सभी बंगले जनपथ, त्यागराज मार्ग, अकबर रोड, कृष्णा मेनन मार्ग, सफदरजंग रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग और तुगलक रोड पर बने हैं.  

टाइप 7 का बंगला राज्य मंत्रियों को मिलता है

टाइप 8 के बाद आता है टाइप 7 का बंगला ये बंगले डेढ़ एकड़ क्षेत्रफल में फैला रहता है. इसकी मेन बिल्डिंग में 4 बेडरूम होते है. ये बंगले दिल्ली के अशोक मार्ग, कुशक रोड, लोधी एस्टेट, तुगलक लेन और कैनिंग लेन में बने हैं. इस टाइप के बंगले राज्य मंत्रियों, पांच बार के सांसद रहे नेताओं और , दिल्ली हाईकोर्ट के जजों को मिलता है. 

नेताओं को मिलती है ये सुविधाएं

नेता जितना वरिष्ठ होता, या जितने बड़े पद पर पहुंचता है, उसको उतना ही बड़ा आवास आवंटित किया जाता है. किसी सांसद को अगर आवास नहीं मिल पाता और वह दिल्ली में होटल में रहता है, तो उसका किराया भी सरकार ही देती है. इसके अलावा इन सभी बंगलों और आवासों में सांसदों को मुफ्त बिजली और पानी सरकारी ओर से मुहैया कराया जाता है. पर्दों की धुलाई भी पूरी तरह से मुफ्त होती है. इनकी देखरेख के लिए अलग से भत्ता दिया जाता है. इसका खर्च 30 हजार रुपए से ज्यादा होने पर शहरी विकास मंत्रालय से अप्रूवल लेना पड़ता है. 30 हजार या इससे कम खर्च होने पर खुद आवास समिति अप्रूवल दे देती है.