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खजुराहों के मंदिर में बनी इन मूर्तियों का आखिर राज क्या है ? क्यों बनाई गईं हैं वहां ऐसी मूर्तियां

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में खजुराहो है. खजुराहो का इतिहास भारत में काफी पुराना है और अब इसको विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है. यहां के मंदिर में भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की अद्भुत कलाकारी देखने को मिलती है. खजुराहों में इस कलाकारी को देखने के लिए हजारों पर्यटक आते हैं.

खजुराहों के मंदिर में बनी इन मूर्तियों का आखिर राज क्या है ? क्यों बनाई गईं हैं वहां ऐसी मूर्तियां

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में खजुराहो है. खजुराहो का इतिहास भारत में काफी पुराना है और अब इसको विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है. यहां के मंदिर में भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की अद्भुत कलाकारी देखने को मिलती है. खजुराहों में इस कलाकारी को देखने के लिए हजारों पर्यटक आते हैं.

कहा जाता है कि चंदेल राजाओं ने कामुक प्रतिमाएं मंदिरों में बनवाई थीं, इन मूर्तियों का रहस्य आज भी बरकरार है. सब यह जानना चाहता है कि इन मंदिरों में रतिक्रीड़ा, अध्यात्म, नृत्य मुद्राओं, प्रेम रस की प्रतिमाओं को क्यों बनाया गया है? इसके बारे में जानकारों के मत भी अलग- अलग हैं.

मूर्तियों के बारे में ये है मान्यताएं

कहा जाता है कि चंदेल वंश के राजाओं के शासनकाल में खजुराहो में तांत्रिक समुदाय की उपासनामार्गी शाखा का बोलबाला था. इस समुदाय के लोग योग और भोग दोनों को मोक्ष का साधन मानते थे. कहा जाता है कि खजुराहो के मंदिरों में बनीं ये मूर्तियां इन क्रियाकलापों की देन हैं.

खजुराहों के बारे में एक कहानी भी प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि राजपुरोहित हेमराज की बेटी हेमवती शाम के समय झील में स्नान कर रही थी. स्नान करती हेमवती को चंद्रदेव ने देखा तो उन पर प्रेम धुन सवार हो गयी. उसी समय चंद्रदेव प्रकट हुए और हेमवती से विवाह का  निवेदन किया. उनके मधुर संयोग से एक पुत्र का जन्म हुआ और उसने चंदेल वंश की स्थापना की. समाज के डर की वजह से हेमवती ने पुत्र को वन में करणावती नदी के तट पर पाला और उसे चंद्रवर्मन नाम दिया.

चंद्रवर्मन एक प्रभावशाली राजा बना. तब चंद्रवर्मन की माता हेमवती ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और इन मंदिरों के निर्माण के लिए कहा जो समाज को संदेश दें कि कामेच्छा को जीवन के तमाम पहलुओं के जैसे अनिवार्य समझा जाए और कामेच्छा को पूरा करने वाला व्यक्ति दोषी न हो.

इसके बाद हेमवती के दर्शन देने के बाद चंद्रवर्मन ने मंदिर के निर्माण के लिए खजुराहो को चुना. उसने यहां 85 वेदियों का विशाल यज्ञ किया और 85 वेदियों के स्थान पर 85 मंदिर बनवाए, जिन मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजाओं ने जारी रखा. फिलहाल 85 मंदिरों में से केवल 22 मंदिर ही बाकी हैं.