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केदारनाथ में एवलांच की घटनाओं से यात्रा में पड़ रहा प्रभाव,ब्लॉगरों की भ्रामक खबरों से श्रद्धालुओं में बन रहा डर

केदारनाथ धाम में आये दिन एवलांच जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.

केदारनाथ में एवलांच की घटनाओं से यात्रा में पड़ रहा प्रभाव,ब्लॉगरों की भ्रामक खबरों से श्रद्धालुओं में बन रहा डर

केदारनाथ धाम में आये दिन एवलांच जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. आये दिन हो रही इस प्रकार की घटनाओं को स्थानीय लोग सामान्य घटना बता रहे हैं. उनकी माने तो केदारनाथ धाम हिमालयी क्षेत्र में बसा है. ऐसे में इस स्थान पर ग्लेशियर टूटने जैसी घटनाएं होना सामान्य बात है.

ब्लॉगर फैला रहे भ्रम
कुछ यूट्बर ब्लॉगर धाम में रहकर गतल खबरों को फैलाकर अपने चैनल को फेमस करना चाहते हैं, जिससे चैनल को लाइक के साथ फॉलोअर्स बढ़ सकें. हालांकि पर्यावरण विशेषज्ञ इन घटनाओं के लिए मौसम में आये परिवर्तन को कारण मानते हैं और इसे भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा बता रहे हैं.

अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई की मांग
केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित हिमांशु तिवारी ने बताया कि केदारनाथ धाम के ठीके पीछ चोराबाड़ी क्षेत्र में इस प्रकार की ग्लेशियर टूटने की घटनाएं होती रहती हैं. भ्रामक जानकारियां फैलाकर लोगों को भ्रमित करने वालों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्रा में जिला प्रशासन का पूर्ण सहयोग मिल रहा है. तीर्थयात्रियों को बेहतर से बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं. तीर्थयात्रियों की सुरक्षा से लेकर उनके लिए रहने-खाने सहित तमाम प्रकार की व्यवस्थाएं धाम में की गई हैं. हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने जैसी घटनाओं से घबराने की जरूरत नहीं हैं.

भविष्य में खतरे के संकेत
वहीं पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा कि आपदा के बाद से केदारनाथ में निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिस कारण मौसम में काफी बदलाव आ गया है. समय पर बारिश और बर्फबारी नहीं हो रही है. इस माह गिर रही बर्फ हिमालय में टिकती नहीं है, जिस कारण फिसलकर नीचे आती है और एवलांच जैसी घटना दिखाई देती है. अभी भी समय रहते हिमालय को बचाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम जैसे विषम परिस्थितियों वाले क्षेत्र में हेलीकॉप्टर सेवाओं को भी बंद किया जाना चाहिए. ये भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं.