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J&K Terrorist attack: टारगेट किलिंग क्यों रहे आतंकी? हताशा या फिर बौखहाटल जाने यहां

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने एक बार फिर घाटी को दहला दिया। गांदरबल में हुए आतंकी हमले में सात लोगों की जान चली गई। जानें आतंकी आखिर क्यों ऐसी घटनाओ को अंजाम दे रहे हैं,जानें यहां।

J&K Terrorist attack: टारगेट किलिंग क्यों रहे आतंकी? हताशा या फिर बौखहाटल जाने यहां

चार दिन पहले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर उमर अबदुल्ला ने शपथ ली थी। इस घाटी में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन की सरकार है। सरकार अपना कामकाज समझ ही रही थी कि आतंकी हमले से पूरा देश दहल गया। जहां दहशतगर्दों ने सुरंग का निर्माण करने वाली एक निजी कंपनी के कर्चचारियों पर गोलियों की बौछार कर दी। घटना में सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई जबकि 5 लोग घायल बताये जा रहे हैं। इस हमले को सियासी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, जहां ये हमला हुआ वह खुद सीएम उमर अब्दुल्ला के विधानसभा क्षेत्र गांदरबल में पड़ता है। एनसी चुनावों में घाटी के लोगों के चेहरे पर फिर से मुस्कान लाने के वादे से मैदान में उतरी थी। उन्होंने कश्मीरी पंडितों को फिर से वापस लाने का मुद्दा भी जोरों-शोरों से उठाया था

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कैबिनेट में बड़े फैसले ले रहे उमर अब्दुल्ला 

जम्मू-कश्मीर में सरकार का गठनहोने के बाद कैबिनेट में घाटी क पूर्ण राज्य का दर्जा देना का प्रस्ताव पारित किया गय। इसे एलजी मनोज सिन्हा के पास भेजा गया है। इस तरह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाने की मांग फिर से तेज हो गई है। हालांकि इसका फैसला केंद्र सरकार करेगी। लोकसभा-राज्यसभा में संसोधन विधेयक के साथ ये रास्ता साफ हो जाएगा।  केंद्र की बीजेपी सरकार इस मसले पर कई बार बात कर चुकी है। वहीं, उमर अबदुल्ला की बात करें तो वह अक्सर घाटी में शांति-विकास की बात करते हैं। जम्मू-कश्मीर की राजनीति को पास से समझने वाले जानकार मानते हैं,यही वजह से आतंकी बौखलाए हैं। पहले राज्य में शांति पूर्ण चुनाव होना,फिर सरकार बनना और लोगों का भरोसा बढ़ना आतंकी मूसंबों को ध्वस्त कर रहा है। जिसके चलते आतंकी साजिश को अंजाम दिया गया। 

हमले के लिए आतंकियों का नया पैटर्न 

पिछले हमलों पर गौर किया जाए तो आतंकी टारगेट किलिंग कर रहे हैं। इस बार उन्होंने सीएम के विधानसभा क्षेत्र को निशाना बनाते हुए एक बार फिर गैर-कश्मीरी मजदूरों पर हमला किया है। इस हमले का उद्देश्य दहशत फैलाना और डर का माहौल बनाना था। ये पहली बार नहीं है, इससे पहले आतंकी लगातार बाहरी राज्यों से आने वाले मजदूरों, कश्मीरी पंडितों, गैर-मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों और सेना के अधिकारियों की हत्या कर चुके हैं।। इस तरह की टारगेट किलिंग का मकसद जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाना है। अप्रैल में शोपियां जिले में गैर-कश्मीरी ड्राइवर परमजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी। वह दिल्ली के रहने वाले थे और ड्यूटी के दौरान उन पर हमला किया गया। अप्रैल में ही बिहार के प्रवासी शंकर शाह की भी आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।फरवरी में अमृतसर के दो युवकों, अमृत पाल (31) और रोहित मसीह (25), को आतंकियों ने एके-47 राइफल से भून डाला था। हब्बा कदल इलाके में इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया गया था। फिलहाल देखना होगा केंद्र-राज्य सरकार इन आतंकी हमलों का बदला कैसे लेती हैं।