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प्रदीप मिश्रा ने बताया राधारानी के पति का नाम, अपने वचनों के रखे सबूत सामने!

राधा रानी प्रसंग पर कथावाचक सीहोर वाले पं. प्रदीप मिश्रा के प्रवचन पर विवाद छिड़ा हुआ है। संत समाज उनके कहे गए शब्दों पर आपत्ति जता चुका है। उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। मथुरा को पुलिस को शिकायत भी की गई है। संत प्रेमानंद महाराज ने तो ये तक कह दिया कि पं. प्रदीप मिश्रा नर्क में जाएंगे।

प्रदीप मिश्रा ने बताया राधारानी के पति का नाम, अपने वचनों के रखे सबूत सामने!
Pradeep Mishra Radha Rani Controversy

राधा रानी प्रसंग पर कथावाचक सीहोर वाले पं. प्रदीप मिश्रा के प्रवचन पर विवाद छिड़ गया है। संत समाज उनके कहे गए शब्दों पर आपत्ति जता चुका है। उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। मथुरा को पुलिस को शिकायत भी की गई है। संत प्रेमानंद महाराज ने तो ये तक कह दिया कि पं. प्रदीप मिश्रा नर्क में जाएंगे।

प्रदीप मिश्रा ने बताया राधारानी के पति का नाम

पंडित प्रदीप मिश्रा का कहना है कि राधा रानी प्रसंग पर उन्होंने जो भी कहा वो शास्त्रों के अनुसार ही कहा। जिस-जिस महाराज को प्रमाण चाहिए, वो कुबरेश्वर धाम आ जाएं। राधा रानी की आड़ में उन्हें बदनाम करने की कोशिश हो रही है। प्रदीप मिश्रा ने अपने एक प्रवचन में कहा था कि राधा जी के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। राधा जी का विवाह छाता में हुआ था। राधा जी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थीं। बरसानें में तो राधा जी के पिता की कचहरी लगती थी, जहां वो साल में एक बार आती थीं।

प्रदीप मिश्रा ने कहा मैंने शास्त्रों को देख बोले अपने वचन

प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सबूत के तौर पर कहा कि ब्रह्म वैवर्त पुराण में प्रकृति खंड अध्याय- 49 के श्लोक संख्या 40,43,44 में गर्ग संहिता के गिर्राज खंड के अध्याय 5 के श्लोक संख्या 15,16,31,34 में है। इसके अलावा जिस शिव पुराण का वह प्रवचन करते हैं, उसके पार्वती खंड के अध्याय- 2 के श्लोक संख्या - 40 में भी इसका वर्णन है। स्कंद पुराण, पदम पुराण, नारद पंचराग आदि ग्रंथों में भी यह वर्णित है।

प्रेमानंद महाराज बोले तुझे नर्क जाने से कोई सकता बचा 

प्रदीप मिश्रा की कही गई बातों पर प्रेमानंद महाराज काफी नाराज है। उन्होंने ये तक कह दिया है कितुझे नरक से कोई नहीं बचा सकता। हमें गाली दो तो चलेगा। लेकिन तुम हमारे इष्ट, हमारे गुरु, हमारे धर्म के खिलाफ बोलेगे, उनका अपमान करोगे, तो हम ये बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम स्वयं को न्योछावर कर देंगे, तुम्हें बोलने लायक नहीं छोड़ेंगे।

तुम्हें पता ही क्या है लाडली जी के बारे में? तुम जानते ही क्या हो? अगर तुम किसी संत के चरण रज का पान करके बात करते तो तुम्हारे मुख से कभी ऐसी वाणी नहीं निकलती। जैसा वेद कहते हैं, राधा और श्रीकृष्ण अलग नहीं हैं। तुझे तो शर्म आनी चाहिए। जिसके यश का गान करके जीता है, जिसका यश खाता है, जिसका यश गाकर तुझे नमस्कार और प्रणाम मिलता है, उसकी मर्यादा को तू नहीं जानता।

श्रीजी की अवहेलना की बात करता है। कहते हैं कि वे इस बरसाने में नहीं हैं। अभी सामना पड़ा नहीं संतों से। चार लोगों को घेरकर उनसे पैर पुजवाता है, तो समझ लिया कि तू बड़ा भागवताचार्य है। रही बात श्रीजी बरसाने की हैं या नहीं, तो तुमने कितने ग्रंथों का अध्ययन किया है? चार श्लोक पढ़ क्या लिए, भागवत प्रवक्ता बन गए। तुम नरक में जाओगे, वृंदावन की भूमि से गरज कर यह कह रहा हूं।