बिजनेस फैमिली में हुआ जन्म फिर भी अनाथालय में क्यों रहे Ratan Tata? जानें ये अनकहा किस्सा
रतन टाटा की सफलता के पीछे छिपे हैं संघर्षों और विपरीत परिस्थितियों का किस्से। जानिए कैसे एक उद्योगपति के रूप में शिखर पर पहुंचने से पहले उन्हें अनाथालय में रहना पड़ा और कैसे उन्होंने अपने जीवन में मुश्किलों का सामना किया।
टाटा समूह के पूर्व उद्योगपति रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। उनके निधन से हर देशवासी की आंखे नम हैं, हर कोई उन्हें नमन कर रहा है। उनके जैसा खुशमिजाज व्यक्तित्व शायद ही किसी और के पास है। दुनिया से जाते-जाते भी वह आखिरी पोस्ट में ये लिखकर गए कि- वह पूरी तरह ठीक हैं,किसी को डरने और परेशान होने की जरूरत नहीं है,लेकिन कोई नहीं जानता था, इस बयान के दो दिन बाद देश के 'रतन' सबको यूं छोड़कर चले जाएंगे। भले लोग रतन टाटा की लाइफ से इंस्पिरेशन लेते हों लेकिन उनकी जिंदगी बिल्कुल भी आसान नहीं रही। न मोहब्बत मुकम्मल हुई न माता-पिता का प्यारा मिला,लेकिन रतन टाटा ने हार नहीं मानी उन्होंने टाटा ग्रुप को बुंलदियों पर पहुंचाया। जिसका लोहा आज दुनिया मानती है। यहां तक एक वक्त ऐसा भी था जब रतन टाटा को अनाथालय में रहना पड़ा था,जानें ऐसा क्यों हुआ और बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखने के बाद भी उन्हें अपना जीवन अनाथालय में क्यों बिताना पड़ा।
आसान नहीं रहा रतन टाटा का जीवन
बता दें, रतन टाटा दुनिया के प्रसिद्ध उद्योगपतियों में शामिल हैं। जिनके विजन को दुनिया सलाम करती हैं। 28 दिसंबर 1937 को जन्में रतन टाटा का जन्म प्रसिद्ध पारसी उद्योगपति नवल टाटा के घर हुआ था। उन्हें परिवार का प्यार केवल 10 साल तक नसीब हुआ। जब दस साल के थे तो उनके माता-पिता का तलाक हो गया। वह किसके साथ रहेंगे,इसपर माता-पिता आमने-सामने आ गए हालांकि रतन अपनी दादी के बहुत करीब थे। इसलिए वह दादी के साथ जेएन पेटिट पारसी अनाथालय चले दए। दादा नवाजबाई टाटा ने रतन टाटा का पालन पोषण किया । वहीं,कुछ सालों बाद रतन टाटा के पिता नवल टाटा ने दूसरी शादी कर ली और उनको एक बेटा हुआ जिसका नाम नोएल टाटा है।
ऐसे शुरू हुआ था टाटा समूह
नुस्सरवानजी टाटा पारसी पादरी थे। जिन्होंने व्यापार की शुरुआत की और परिवार के भविष्य की नींव रखी। जिसके बाद जमशेदजी टाटा ने कमान संभाली और वह टाटा ग्रुप को संस्थापक कहलाएं। उन्होंने टाटा स्टील, ताज होटल और हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों की स्थापना की। जमशेदजी के बड़े बेटे दोराबजी टाटा ने टाटा स्टील और टाटा पावर को आगे बढ़ाया। उनके छोटे बेटे रतन जी टाटा ने कपास और कपड़ा व्यापार का विस्तार किया। जबकि रतन जी टाटा के बेटे जेआरडी टाटा ने 50 वर्षों तक टाटा ग्रुप की बागडोर संभाली और टाटा एयरलाइंस (अब एयर इंडिया) की स्थापना की और समूह को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। इसके बाद शुरू हुआ नवल टाटा का दौर। जिन्होंने ग्रुप के विकास में अहम भूमिका निभाई। रतन टाटा उनके बेटे थे। 1937 में जन्में रतन टाटा ने परिवार की विरासत को कायम रखते हुए टाट टाटा ग्रुप को वैश्विक ब्रांड में तब्दील किया। लैंड रोवर-जगुआर जैसे ब्रांड्स को समूह में शामिल किया और 1991-2012 तक चेयरमैन रहे। वहीं, नोएल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। जो इस वक्त टाटा इंटरनेशनल और रिटेल बिजनेस ट्रेंट की कमान संभाल रहे हैं।