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यूं ही नहीं 'लीजेंडरी' कहलाए Ratan Tata,100 देशों में बिजनेस, अरबों में रेवन्यू, यहां जानें टाटा ग्रुप से जुड़ी हर बात

Tata Group Business: रतन टाटा के निधन से टाटा समूह के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा? कौन संभालेगा टाटा संस की कमान? जानिए टाटा ग्रुप की वर्तमान स्थिति और इसके भविष्य के बारे में।

यूं ही नहीं 'लीजेंडरी' कहलाए Ratan Tata,100 देशों में बिजनेस, अरबों में रेवन्यू, यहां जानें टाटा ग्रुप से जुड़ी हर बात

रतन टाटा के देहांत से दुनियाभर में शोक की लहर है। दुनियाभर के तमाम-बड़े नेता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। आज टाटा की धमक नमक से लेकर एयरलाइन्स तक है। ऐसे में सबके मन में एक ही सवाल है रतन टाटा के निधन के बाद 100 देशों में फैला टाटा ग्रुप बिजनेस कौन संभालेंगा और इससे जुड़े फैसले कौन लेगा। बता दें, ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जहां टाटा समूह न हो। नमक,चाय,काफी से लेकर जूडियो (Zudio) और टाटा स्टील, घड़ी तक हर सेक्टर में रतन टाटा की मेहनत से इस समूह ने बुलंदिया हासिल की है। यही वजह है कि आज 150 देशों में कंपनी के उत्पाद मौजूद है। 

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दुनियाभर में टाटा ग्रुप का डंका

आज देशवासी एक उद्योगपति के जाने के साथ ही रतन टाटा के दरियादिली स्वाभाव के कारण उन्हें याद कर रहे हैं। वह देश के सबसे पुराने कारोबारी घराने से आते थे। मौजूदा समय में टाटा समूह (Tata Group) 100 से ज्यादा कंपनियों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। 1868 में शुरू हुआ टाटा ग्रुप आज 100 देशों में अपनी पहचान रखता है। वहीं, ये कहना भी बिल्कुल सही होगा, ऐसे कई प्रोडेक्ट है जिसके बार में भारतीय जनता को टाटा ग्रुप ने अवगत कराया है। चाहे पहली एयरलाइंस हो या कंज्यूमर गुड कपनी या फिर लग्जरी होटल इन सभी मामलों में टाटा को आजतक कोई भी नहीं पछाड़ सका।  रेवन्यू की बात करें तो टाटा अपना अलग स्थान रखती है। 2023-24 फाइंनेश्यिल ईयर में टाटा का रेवन्यू लगभग 165 करोड़ अरब डॉलर था। 

1991-2012 तक संभाली टाटा ग्रुप की कमान

रतन टाटा ने 1991 में टाटा ग्रुप की कमान संभाली थी। जिसके बाद से लगातार टाटा ग्रुप नए आयाम स्थापित कर रह है। साल 2012 तक हर फैसला रतन टाटा लेते थे,लेकिन बाद में उन्होंने टाटा संस से इस्तीफा देकर कामान साइरस मिस्त्री को सौंपी थी हालांकि बीच में कई मुद्दे ऐसे उठे,जिससे साइरस को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी और रतन टाटा ने फिर से समूह का नेतृत्व किया। साइरस को हटाने के एक साल बाद यानी 2018 में उन्होंने रिटायरमेंट लेकर नटराजन चंद्रशेखरन को कंपनी की जिम्मेदारी सौंपी। जबकि वह टाटा ट्रस्ट का कमान संभाल रहे थे। जहां तक कंपनी से जुड़े फैसलों की बात करें है तो टाटा समूह अपने फैसले अच्छे ढंग रहता है। जिस कारण ज्यादातर कंपनिया रेवन्यू जनेरेट कर ही हैं। मौजूदा वक्त में चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ग्रुप की कंपनियों के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। हालांकि रतन टाटा समूह के बिजनेस पर नजरें रखते थे। टाटा सन्स इस समूह की मुख्य प्रमोटर और प्रमुख निवेशक है। टाटा सन्स में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट्स के पास है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, कला, और संस्कृति जैसे सेक्टर में काम कर रहा है।