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आजाद भारत का सबसे पहला अमीर आदमी, जिसके आगे अंबानी-अडानी भी कुछ नहीं, हीरों को बना रखा था पेपरवेट

15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ था तब उस समय देश के सबसे अमीर इंसान मीर उस्मान अली खान थे, जो 1911 में हैदराबाद के निज़ाम बने

आजाद भारत का सबसे पहला अमीर आदमी, जिसके आगे अंबानी-अडानी भी कुछ नहीं, हीरों को बना रखा था पेपरवेट

आज जब हम देश के अमीर लोगों की बात करते हैं तो मुकेश अंबानी, गौतम अडानी और टाटा जैसे नाम सामने आते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब देश आजाद हुआ तो भारत का पहला अरबपति (फर्स्ट बिलियनेयर इंडिपेंडेंस इंडिया) कौन था? देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि 1947 में देश का सबसे अमीर शख्स कौन था और उसके पास कितनी संपत्ति थी?

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 आजाद भारत का पहले अमीर व्यक्ति

जब 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ था तब उस समय देश के सबसे अमीर इंसान मीर उस्मान अली खान थे, जो 1911 में हैदराबाद के निज़ाम बने और 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ, तब भी वे हैदराबाद के निज़ाम बने रहे। मीर उस्मान अली खान के पास हीरे, सोने और नीलम और पुखराज जैसे कीमती रत्नों की खदानें थीं। आज भी कहा जाता है कि उनके गार्डन एरिया में सोने की ईंटों से भरे ट्रक खड़े थे। इतना ही नहीं, वहां लग्जरी कारों का भी कलेक्शन था।

एक से बढ़कर एक महंगी करें

मीर उस्मान अली खान के पास 185 कैरेट का जैकब हीरा था, जिसे वह पेपरवेट के रूप में इस्तेमाल करते थे। उस हीरे की कीमत 1340 करोड़ रुपये थी. उनके पास कई महंगी कारें थीं, कहा जाता है कि जब रोल्स-रॉयस मोटर कार्स लिमिटेड ने मीर उस्मान को अपनी कारें बेचने से इनकार कर दिया, तो हैदराबाद के शासक ने कुछ पुरानी रोल्स-रॉयस कारें खरीदीं और उन्हें कूड़े में फेंक दिया। प्रयोग करते थे. उनके पास 50 रोल्स रॉयस कारें थीं। उनके पास एक प्राइवेट प्लेन भी था।

हीरा सोना नीलम और पुखराज जैसे रत्न 

मीर उस्मान अली खान के पास हीरे, सोने और नीलम और पुखराज जैसे कीमती रत्नों की खदानें थीं। कहते थे कि उनके गार्डन एरिया में सोने की ईंटों से भरे ट्रक खड़े रहते थे। इतना ही नहीं, बल्कि लग्जरी कारों का भी कलेक्शन था।

सादा कुर्ता पजामा पहनने का शौक

निज़ाम के बारे में कहा जाता है कि वह शाही पोशाक के बजाय ज़्यादातर बिना इस्त्री वाला कुर्ता-पायजामा पहनते थे और पैरों में साधारण चप्पल पहनते थे। उनके पास एक तुर्की टोपी थी, जिसे वे 35 वर्षों तक पहनते रहे। जहाँ वे सोते थे वहाँ पुराने बिस्तर, टूटी मेज़ और कुर्सियाँ, राख से भरी ऐशट्रे और कूड़े से भरे कूड़ेदान थे।