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जल जीवन मिशन से जुड़ा एक और घोटाला आया सामने, CAG ने की मनाही फिर भी RWSSC के खातों का पैसा JJM में हुआ ट्रांसफर

राजस्थान में जल जीवन मिशन से जुड़ा एक और घोटाला सामने आया है. मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है. बताया जा रहा है कि पीएचईडी का 500 करोड़ का राजस्व बिना विधानसभा की अनुमति के राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बाद यहां से पैसा सीधे जलजीवन मिशन में ट्रांसफर कर दिया गया.

जल जीवन मिशन से जुड़ा एक और घोटाला आया सामने, CAG ने की मनाही फिर भी RWSSC के खातों का पैसा JJM में हुआ ट्रांसफर

राजस्थान में जल जीवन मिशन से जुड़ा एक और घोटाला सामने आया है. मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है. बताया जा रहा है कि पीएचईडी का 500 करोड़ का राजस्व बिना विधानसभा की अनुमति के राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बाद यहां से पैसा सीधे जलजीवन मिशन में ट्रांसफर कर दिया गया.

आशंका यह भी जताई जा रही है कि राजस्थान में जल जीवन मिशन की जांच में सीबीआई को कई और भी मामले मिल सकते हैं. परियोजना में वित्त विभाग के अफसरों ने पहले पेयजल विभाग पीएचईडी के राजस्व का पैसा राज्य सरकार की संचित निधि में जमा करवाने के बजाय RWSSC के पीडी खातों में जमा कर दिया. RWSSC से यह राशि सीधे जलजीवन मिशन के खातों में जमा की गई. बता दें कि CAG ने कई बार आपत्ति जताते हुए वित्त विभाग को ऐसा करने से मना कर दिया था.

वित्त विभाग की ओर से सीएजी को लिखे पत्र में RWSSC की तुलना DISCOMs से करते हुए मामले को ठंडा करने की कोशिश की गई है, बावजूद इसके सीएजी ने इसे खारिज कर दिया है. सीएजी ने लिखा कि DISCOMs  ने विद्युत संबंधी योजनाओं के निर्माण, संचालन से जुड़े सभी व्यय, विद्युत आपूर्ति से प्राप्त राशि, स्वयं औऱ अन्य के वित्तीय स्त्रोतों से किए जाते हैं, न की राज्य सरकार की संचित निधि से. जबकि जलापूर्ति योजनाओं के संबंध में राजस्व और पूंजी व्यय राज्य की संचित निधि से किया जा रहा है. इसमें RWSSC ने जल राजस्व से प्राप्त राशि सीधे पीडी खातों में जमा करवाई है, जो राज्य की संचित निधि से बाहर है.

सीएजी ने पत्र में यह भी लिखा कि RWSSC के खातों की जांच से पता चला है कि यह राशि सीधे जल जीवन मिशन में ट्रांसफर की जा रही थी, राशि ट्रांसफर होने से वह संचित निधि का भाग नहीं बन पाती और विधायिका के संज्ञान में भी नहीं आ पाती है. सिर्फ इन्होंने ही यह राशि सीधे ट्रांसफर नहीं की है, बल्कि पूर्व संग्रहित किए गए को भी ट्रांसफर एंट्री से सीधे पीडी खातों में ट्रांसफर किया है और उसे विधानसभा की अनुमति के बिना ही खर्च किया गया है.