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अजमेर आए... और यहां का सन सेट व्यू नहीं देखा.... तो अजमेर नहीं देखा

कहा जाता है कि आना सागर का निर्माण 1135 -1150 ई. में पृथ्वीराज चौहान के दादा अरनोराजा उर्फ अना ने करवाया था और उन्हीं के नाम पर इसका नाम रखा गया है. झील खूबसूरत पार्कों और संगमरमर के मंडपों से घिरी हुई है. जिसे बारादरी के नाम से जाना जाता है. जिसे सम्राट शाहजहां ने बनवाया.

अजमेर आए... और यहां का सन सेट व्यू नहीं देखा.... तो अजमेर नहीं देखा

अजमेर अपने आप में ही राजस्थान के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है. यहां कई ऐसी जगह हैं जहां कि अगर आपने सैर कर ली तो यकीन मानिए अजमेर से जाने का आपका दिल नहीं करेगा. इन्ही प्रसिद्ध स्थानों में से एक है आना सागर झील. जितनी खूबसूरत उतनी मनोरम. शांति का माहौल ऐसा जो बयां भी न किया जा सके. जैसे जैसे शाम ढलती है और चंद्रमा की रोशनी सफेद संगमरमर की संरचनाओं पर पड़ती है तो इसकी खूबसूरती दो गुनी हो जाती है. शाम ढलने के साथ ही सूफी संगीत को सुन लोग यहां खिंचे चले आते हैं. 

आना सागर झील को अजमेर का दिल कहते हैं, क्योंकि शहर इसी झील से घिरा हुआ है. यह एक कृत्रिम झील है जिसकी खुदाई 12वीं शताब्दी की शुरुआत में लूनी नदी पर बांध बनाकर की गई थी. कमोबेश उसी समय तत्कालीन अजयमेरु और अब अजमेर शहर का निर्माण हुआ था.

अजमेर की सबसे बड़ी झील
आना सागर झील की अधिकतम लंबाई 13 किलोमीटर, अधिकतम गहराई 4.4 मीटर यानी करीब 14 फीट है. अजमेर में तीन झीलें हैं-आना सागर झील, फॉय सागर झील और पुष्कर झील. जिसमें आना सागर झील
सबसे बड़ी है और बड़े जलग्रहण क्षेत्र को कवर करती है. आना सागर झील का जलग्रहण क्षेत्र 70.55 वर्ग किमी है. आना सागर झील दौलत बाग गार्डन और खोबरा बेहरून मंदिर से घिरी हुई है, जो अजमेर के दो लोकप्रिय आकर्षण हैं. यह सबसे आकर्षक झील 13 किलोमीटर में फैली हुई है. यह झील अजमेर में सबसे बड़ी है, झील की अधिकतम गहराई 4.4 मीटर है और भंडारण क्षमता 4.75 मिलियन क्यूबिक मीटर है.


पृथ्वी राज चौहान के दादा ने कराया निर्माण
कहा जाता है कि आना सागर का निर्माण 1135 -1150 ई. में पृथ्वीराज चौहान के दादा अरनोराजा उर्फ अना ने करवाया था और उन्हीं के नाम पर इसका नाम रखा गया है. झील खूबसूरत पार्कों और संगमरमर के मंडपों से घिरी हुई है. जिसे बारादरी के नाम से जाना जाता है. जिसे सम्राट शाहजहां ने बनवाया.