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अकबर का किला और संग्रहालय का इतिहास

बादशाह अकबर ने अजमेर में एक किले का निर्माण कराया, जिसे अकबर का किला कहा गया जोकि वर्तमान में 'राजकीय संग्रहालय' है.

अकबर का किला और संग्रहालय का इतिहास

विश्व में भारत अपनी अलग- अलग तरह की संस्कृति और वास्तुकलाओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. भारत हमेशा से ही समृद्ध था इसलिए इसे सोने की चिड़िया भी कहा गया. इतिहास दर्ज है कि कई शासकों ने यहां राज किया और बहुत सी इमारतों का निर्माण भी करवाया. राजस्थान का इतिहास खास तौर पर इसका साक्षी है.

बादशाह अकबर ने अजमेर में एक किले का निर्माण कराया, जिसे अकबर का किला कहा गया जोकि वर्तमान में 'राजकीय संग्रहालय' है. अकबरी किला राजस्थान के सबसे मजबूत किलों में से है. कुछ समय पहले राजस्थान सरकार ने अजमेर के अकबर के किले का नाम बदलकर अजमेर का किला और संग्रहालय रखा. यह किला अपनी अद्भुत स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है.

अकबरी किला का इतिहास

अजमेर में इस किले का निर्माण बादशाह अकबर ने 16वीं शताब्दी में करवाया. बादशाह जहांगीर के शासनकाल के समय 1613 से 1616 तक इस किले से सैन्य अभियानों का संचालन हुआ. उस समय इस किले का इस्तेमाल जहांगीर और मुगल दरबार के अंग्रेज राजदूत सर थॉमस रो की बैठक के लिए किया गया. यह सम्राट और उनके सैनिकों के ठहरने के लिये इस्तेमाल होता था.

अकबरी किले के रोचक तथ्य

अकबर की राजधानी आगरा होने के बाद भी उसने ठहरने के लिये 1570 ई. में अजमेर के नए बाजार में क़िले का निर्माण करवाया था. इस किले में चार बड़े बुर्ज और कई विशाल दरवाजे हैं. पश्चिम दिशा में एक सुंदर दरवाजा है और दुर्ग परिसर के ठीक बीच में मुख्य भवन बना है. दुर्ग का दरवाजा 84 फुट ऊंचा और 43 फुट चौड़ा है. कहा जाता है कि अकबर हर साल ख्वाजा के दर्शन करने और राजपूताना युद्धों में भाग लेने के लिए यहां आया करता था.

इस किले को अकबर का दौलतखाना, मैग्जीन किला और अजमेर का किला के नाम से भी जाना जाता है. इस किले का निर्माण हिन्दू-मुस्लिम पद्धति में करवाया गया. इसी किले के अन्दर 1576 में महाराणा प्रताप के विरुद्ध हल्दीघाटी युद्ध की योजना को अन्तिम रूप दिया गया. इस किले के मुख्य द्वार को जहांगीरी दरवाजा भी कहते हैं.