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राजस्थान में कांग्रेस जीती तो किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा? सचिन पायलट,डोटासरा और गहलोत किसे मिलेगा श्रेय ?

जयपुर: लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून यानी कल घोषित हो जाएंगे। राजनैतिक दलों के लिए आज की रात बैचेनी पैदा करने वाली मानी जा रही हैं। कांग्रेस, बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ी हुई है।

राजस्थान में कांग्रेस जीती तो किसके सिर सजेगा जीत का सेहरा? सचिन पायलट,डोटासरा और गहलोत किसे मिलेगा श्रेय ?

जयपुर: लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून यानी कल घोषित हो जाएंगे। राजनैतिक दलों के लिए आज की रात बैचेनी पैदा करने वाली मानी जा रही हैं। कांग्रेस, बीजेपी समेत सभी राजनीतिक दलों की धड़कनें बढ़ी हुई है। इस बीच राजस्थान में एग्जिट पोल के आंकड़ों ने कांग्रेस में जोश भर दिया हैं। एग्जिट पोल के आंकड़ों के अनुसार आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस की जीत की संभावनाएं जताई जा रही है। ऐसे में सियासी गलियारों में एक चर्चा फिर से तेज हो गई है कि लगातार दो बार से क्लीन स्वीप का कड़ा घूंट पी रही कांग्रेस अगर अपना खाता खोलती हैं, तो कांग्रेस के किस नेता पर विजय का ताज सजेगा? इसको लेकर राजनीतिक बहस शुरू हो गई हैं। राजनीतिक जानकार भी अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है इस जीत के लिए अशोक गहलोत, सचिन पायलट या गोविंद सिंह डोटासरा को जीत का श्रेय दिया जाएगा?

एग्जिट पोल के आंकड़ों से कांग्रेस गदगद

एग्जिट पोल के आंकड़ों के बाद कांग्रेस काफी उत्साहित है। एआईसीसी की बैठक में गोविंद सिंह डोटासरा ने बड़ा दावा किया है कि राजस्थान में कांग्रेस 12 से 13 सीटें जीत रही है। हालांकि यह अलग बात हैं कि कल चुनाव परिणाम में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलती है, लेकिन यदि एग्जिट पोल के आंकड़े सही साबित हुए, तो अब सवाल उठता है कि पिछले दो लोकसभा चुनाव में जीत के लिए तरस रही कांग्रेस को इस बार मिली सफलता के लिए किस कांग्रेसी नेता के सिर पर जीत का सेहरा बांधा जाएगा? इसमें तीन प्रमुख नाम है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा है। राजनीतिक जानकार तीनों ही नेताओं को लेकर लोकसभा चुनाव में उनकी क्या भूमिका रही, इसको ध्यान में रखते हुए अपने-आप में कयास लगा रहें हैं।

चुनाव प्रचार में सचिन पायलट का दबदबा दिखा

एग्जिट पोल के आंकड़ों में 5 से 7 सीटों पर कांग्रेस के जीतने की संभावना बताई गई हैं। इनमें अधिकांश सीटों पर सचिन पायलट का पूरा दबदबा रहा हैं। सचिन पायलट ने यहां पर जमकर पसीना बहाया हैं। इन सीटों में राजस्थान की धौलपुर करौली, टोंक सवाई माधोपुर, दौसा, झुन्झनू, भरतपुर सीटें शामिल है, जहां पर खुद सचिन पायलट ने प्रचार प्रसार की कमान संभाली थी। इन सीटों पर जीत का उल्लेख खुद डोटासरा ने भी एआईसीसी की बैठक में पार्टी हाईकमान के सामने किया है। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि यदि इन सीटों पर कांग्रेस को जीत मिलती है, तो इसका पूरा श्रेय सचिन पायलट के खाते में जाएगा। इसके अलावा जयपुर ग्रामीण, अलवर लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस को अच्छी फाइट में बताया गया है। जहां भी सचिन पायलट के समर्थक उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में हैं, जिनके लिए पायलट ने कैम्पेन किया। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार पायलट ने इस चुनाव प्रचार में राजस्थान में 28 चुनावी सभाओं को संबोधित किया है।

चुनाव में गोविंद सिंह डोटासरा एक्टिव मोड पर रहे

इस लोकसभा चुनाव में पायलट की तरह पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी काफी एक्टिव मोड में रहे। इस दौरान चुनाव प्रचार में डोटासरा ने बीजेपी पर काफी हमला किया। चुनावी सभा में उनके मारवाड़ी लहजे के फटकारें जमकर सुर्खियों में रहें हैं। यही नहीं सभाओं में मतदाताओं को रिझाने के लिए डोटासरा ने अपनी पहचान बन चुके 'तेजल सुपर डुपर' गाने पर जमकर ठुमके भी लगाए। बाड़मेर लोकसभा सीट पर उनका 'गमछा डांस' भी काफी सुर्खियों में रहा। डोटासरा ने भी चुनाव प्रचार के दौरान काफी पसीना बहाया है। आंकड़ों के अनुसार डोटासरा ने राजस्थान में सर्वाधिक 44 चुनावी सभाओं को संबोधित किया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद डोटासरा का भी कद बढ़ सकता है।

अशोक गहलोत ने भी खूब पसीना बहाया

इस लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी चुनावी सभाओ में जमकर जुटे रहे। उन्होंने भी प्रचार के दौरान काफी पसीना बहाया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आंकड़ों के अनुसार अशोक गहलोत ने 53 चुनावी सभाओं को संबोधित किया। हालांकि उनका अधिकांश समय अपने बेटे वैभव गहलोत के लिए जालौर सिरोही लोकसभा में भी रहा। इसकी वजह इस बार जालौर लोकसभा सीट को लेकर गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर है। गहलोत के बेटे वैभव इस चुनाव में अपनी राजनीतिक भूमिका तलाश रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद गहलोत की अगली भूमिका क्या होगी? इसका जवाब अभी भविष्य के गर्भ में है।