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क्या हवा महल सच में हवा में है ? अगर नहीं तो क्या है इस हवा महल की दिलजस्प कहानी ?

हवा महल, जयपुर का सबसे प्रतिष्ठित स्थल, वास्तुकला का कोई सामान्य नमूना नहीं है। यह 18वीं शताब्दी की एक आकर्षक, 5 मंजिला इमारत है, जो अपनी लैसी ग्रिलवर्क और शहद-कंघी के मुखौटे के साथ, शहरवासियों और यात्रियों को एक असाधारण दृश्य प्रदान करती है। अपनी जटिल साज-सज्जा से लेकर यहां से दिखाई देने वाले पैनोरमा तक, हवा महल एक लोकप्रिय स्थल है। हवा महल का रात का आकर्षक दृश्य - जब चांदनी शहर पर चमकती है, अपने आप में एक अनुभव है।

क्या हवा महल सच में हवा में है ? अगर नहीं तो क्या है इस हवा महल की दिलजस्प कहानी ?

हवा महल, जयपुर का सबसे प्रतिष्ठित स्थल, वास्तुकला का कोई सामान्य नमूना नहीं है। यह 18वीं शताब्दी की एक आकर्षक, 5 मंजिला इमारत है, जो अपनी लैसी ग्रिलवर्क और शहद-कंघी के मुखौटे के साथ, शहरवासियों और यात्रियों को एक असाधारण दृश्य प्रदान करती है। अपनी जटिल साज-सज्जा से लेकर यहां से दिखाई देने वाले पैनोरमा तक, हवा महल एक लोकप्रिय स्थल है। हवा महल का रात का आकर्षक दृश्य - जब चांदनी शहर पर चमकती है, अपने आप में एक अनुभव है।

हवा महल का इतिहास

हवा महल का निर्माण जयपुर के राजा सवाई प्रताप सिंह ने अपने शासनकाल (1778-1803) के दौरान सन 1799 में करवाया था। इसे हवाओं के महल के रूप में भी जाना जाता है, यह देश में राजपूत वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। इसे रॉयल सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में बनाया था।

हवा महल बनाने के पीछे का कारण

ऐसा कहा जाता है कि हवा महल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य जयपुर की शाही राजपूत महिलाओं को झरोखों यानी खिड़कियों में से सड़क पर होने वाले उत्सवों को देखने की अनुमति देना था। दरअसल, उस समय महिलाएं पर्दा प्रथा का पालन करती थीं और इस तरह वे अपने रिवाजों को बनाए हुए स्वतंत्रता का आनंद ले सकती थीं।

हवा महल की खूबसूरती का विवरण

हवा महल की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना मुश्किल है, फिर भी हम आपको बता दें कि यह मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण है। इस महल में पांच मंजिला इमारत है। जिसकी अपनी-अपनी विशेषता है। जिसे रिकॉर्ड के अनुसार, लाल चंद उस्ताद द्वारा भगवान कृष्ण के मुकुट के आकार में डिजाइन किया गया था। इस खूबसूरत महल की पांचों मंजिलों में सीढ़ियां नहीं है बल्कि चढ़ान है।

हवा महल से जुड़े अनोखे तथ्य

हवा महल में दो दरवाजे के साथ 953 छोटी-छोटी खिड़कियां हैं और इस महल की कुल लंबाई लगभग 87 फीट और 26 मीटर है। जो मुगल शैली की नक्काशी का नायाब उदाहरण है। जिन्हें झरोखा भी कहा जाता है। पहले के समय में यह कई राजपूत परिवारों के लिए ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थल के रूप में काम करता था। क्योंकि इसके डिज़ाइन से सुखद हवा आती थी। जिससे गर्मियों में बहुत राहत मिलती थी।

हवा महल के आस-पास की खूबसूरती

इस इमारत के पीछे एक भव्य दरवाजे के माध्यम से हवा महल में प्रवेश कर सकते हैं, क्योंकि इसमें सीधे से अंदर जैने का कोई रास्ता नहीं है। हवा महल के ऊपरी हिस्से पर जाकर आपको कई और खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं। जैसे जयपुर, जंतर मंतर, सिरे देवरी बाजार और सिटी पैलेस के खूबसूरत नजारों का आनंद मिलता हैं। हवा महल के अंदर एक छोटा संग्रहालय भी है, जिससे समय का बेहतर उपयोग करने में आसानी हो।