बांसवाडा के चर्चित शेयर ब्रोकर मामले में होगी सीबीआई जांच, हाईकोर्ट ने दिया आदेश, पुलिस पर पक्षपात के आरोप
जोधपुर, बांसवाडा के चर्चिक शेयर ब्रोकर से जुड़े सभी मामलों में मंगलवार को हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया हैं. कोर्ट ने पूरे मामले में पुलिस की भूमिका को पक्षपात पूर्ण माना है.
राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस फरजंद अली ने बांसवाडा के चर्चित शेयर ब्रोकर व उससे जुडे मामलों में पुलिस की भूमिका और उसके द्वारा की गई जांच में कई तरह के सवाल खड़े करते हुए मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए. मामले में आरोपी ब्रोकर हिमांशु और अन्य के ऊपर दर्ज हुई एफआईआर को कोर्ट में चुनौती दी गई. इस मामले की सुनवाई में हिमांशु के वकील ने पुलिस की भूमिका के कई सवाल खड़े किए.
मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने अपने आदेश में लिखा की विरष्ठ पुलिस आधिकारियों पर गंभीर आरोप हैं. इसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तथ्यों को विकृत करने, झूठे साक्ष्य गढने, गैरकानूनी हिरासत, दागी और पक्षपातपूर्ण जॉच, अवैध रिश्वत की मांग, जबरन वसूली जैसे गंभीर आरोप लगाए गए है. जिस तरह से एफआईआर संख्या 33 और 34/2204 को 24 घंटे के भीतर दर्ज किया गया और वह भी एक ऐसे मामले से संबंधित जो शिकायतकर्ता के सामने 3-4 साल पहले आया था. याचिकाकर्ता को सीआरपीसी की धारा 151 के तहत आधी रात को गिरफ्तार करना और उसे 24 घंटे तक हिरासत में रखना और उसी दिन उसके खिलाफ पुराने मामले से संबंधित दो मामले दर्ज करना.
संबंधित एसपी और एडिशनल एसपी की हिरासत में बर्बरता. संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा अवैध रिश्वत की कथित मांग. एफआईआर संख्या 467/2021 में मामले को फिर से खोलना, जब आरोप का सार एफआईआर संख्या 1/2024 में मामले के तथ्यों से कोई प्रासंगिकता नहीं रखता, वह भी संबंधित अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद. यह भी गहन जांच की जाए, ताकि दोनों कागजातों के बारे में पता चल सके, जो इसे राजस्थान उच्च न्यायालय का आदेश बता रहे हैं.
इसे किसने तैयार किया और किसने पुलिस अधिकारियों को दिया. विशेष रूप से, यह मुद्दा कि एक सामान्य विवेक वाला व्यक्ति एक जाली आदेश क्यों तैयार करेगा, जिसमें एक नकारात्मक अंतिम रिपोर्ट पहले ही प्रस्तुत की जा चुकी है और सुरक्षा आदेश उसके पक्ष में है, फिर वह तीसरे पक्ष के लिए खुद पर उत्तरदायित्व क्यों डालेगा, जिसका उस मामले से कोई संबंध नहीं है.