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नीट का रिजल्ट आने के बाद छात्रा ने की सुसाइड, क्यों पढ़ाई का गढ़ कहा जाने वाला कोटा बन रहा सुसाइड का गढ़ ?

Kota Student Suicide 2024:मेडिकल की प्रवेश परीक्षा नीट के रिजल्ट की घोषणा होने के बाद कोटा में एक छात्रा ने 9वी मंजिल से कूद कर जान दे दी. कोटा में सुसाइड के केस लगातार बढ़ते जा रहे है. क्यों आखिरकार कोटा के स्टूडेट पढ़ाई की जगह मौत को गले लगा रहे है. 

नीट का रिजल्ट आने के बाद छात्रा ने की सुसाइड, क्यों पढ़ाई का गढ़ कहा जाने वाला कोटा बन रहा सुसाइड का गढ़ ?

राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-यूजी के परिणाम (NEET UG Result 2024) के रिजल्ट आने के एक दिन बाद राजस्थान के कोटा में 18 साल की छात्रा ने इमारत की 9वीं मंजिल से कूद कर सुसाइड कर ली. मृतका की पहचान बागीशा तिवारी के रूप में हुई है और वह इसी इमारत की 5वीं मंजिल पर अपनी मां और भाई के साथ रहती थी. हादसे के बाद उसे तुरंत एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. 

 

महिला ने छात्रा को बचाने की थी कोशिश

बागीशा तिवारी मूलरूप से एमपी के रीवा जिले की रहने वाली थी. केस की जांच कर रहे इंस्पेक्टर हरिनारायण शर्मा ने बताया कि मृतका का भाई 12वीं कक्षा में पढ़ता है और वह संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) की तैयारी कर रहा है. बागीशा जब इमारत की नौवीं मंजिल की बालकनी से छलांग जाने जा रही थी तो एक महिला ने उसे ऐसा करते हुए देखा था और उसे रोकने की कोशिश की भी थी, लेकिन वह असफल रही. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उसने नीट-यूजी की परीक्षा दी थी. लेकिन उसने यह कदम क्यों उठाया? इस बारे में फिलहाल पता नहीं चला है.

पिता के आने के बाद आज होगा पोस्टमार्टम

छात्रा के शव को अभी पुलिस द्वारा MBS अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है. गुरूवार को पिता के रीवा से आ जान के बाद छात्रा का पोस्टमार्टम कराया जाएगा. जिसके बाद अंतिम संस्कार की क्रिया के लिए शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा. अभी तक छात्रा के सुसाइड की वजह सामने नहीं आई पहली नजर में तो नीट के एग्जाम में कम नंबर आना लग रहा है. लेकिन केस जांच में जुटी पुलिस बागीशा के दोस्तों से पूछताछ करेंगी. कुछ समय से बागीशा के व्यवहार में कोई बदलाव तो नहीं आया था. जिससे मौत की सटीक वजह का पता चल सके. 

क्यों बढ़ रहे कोटा में सुसाइड के केस ?   

छात्रों के आत्महत्या करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई का बोझ और बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी है. इसके पीछे बच्चे के माता-पिता को भी वजह माना जाता है. कई विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि माता-पिता बच्चों को खुद किसी से दोस्ती न करने की हिदायत देते हैं और उन्हें अपना प्रतिस्पर्धी मानने को बोलते हैं.