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पीएम मोदी के करीबी हैं मदन राठौड़, जानिए क्यों इन्हें बनाया गया राजस्थान का नया प्रदेश अध्यक्ष

Who is Madan Rathore: भाजपा ने राजस्थान में नए अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है । मदन राठौड़ को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। आपको बता दें कि मदन राठौड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी कारीबी माने जाते हैं।

पीएम मोदी के करीबी हैं मदन राठौड़, जानिए क्यों इन्हें बनाया गया राजस्थान का नया प्रदेश अध्यक्ष

Who is Madan Rathore: राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ को भाजपा ने राजस्थान का नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है।सीपी जोशी के द्वारा राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया गया।

कौन हैं मदन राठौड़

मदन राठौड़ बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। ओबीसी नेता और दो बार के विधायक रह चुके मदन राठौड़ ने 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया था, लेकिन बाद में पार्टी नेताओं के समझाने पर उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। मदन राठौड़ पाली जिले की सुमेरपुर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। वे पूर्व बीजेपी सरकार यानी वसुंधरा राजे के शासन में सरकारी उप मुख्य सचेतक भी रह चुके हैं।

ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिश

राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ को राजस्थान का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। राठौड़ की नियुक्ति को मूल ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिश माना जा रहा है। राठौड़ करीब पांच माह पहले ही राज्यसभा सांसद चुने गए थे। वे सुमेरपुर विस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं और पिछली भाजपा सरकार में सरकारी उप मुख्य सचेतक भी रहे।

पीएम मोदी के खास हैं मदन राठौड़

जानकारी के मुताबिक साल 2023 में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो मदन राठौड़ ने निर्दलीय ताल ठोक दी। बाद में राठौड़ ने पर्चा वापस ले लिया। ऐसा दावा किया गया था कि राठौड़ को पर्चा वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोन किया था। विस चुनाव के ठीक ढाई माह बाद पार्टी ने उनका सम्मान रखते हुए उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित किया और वे राज्यसभा सांसद बने। राठौड़ संघ में भी काफी सक्रिय रहे हैं। सीपी जोशी ने विधानसभा चुनाव के बाद और लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की थी। विस चुनाव के बाद सीएम और प्रदेश अध्यक्ष एक ही जाति का होने की वजह से लम्बे समय से यह मंत्रणा चल रही थी कि अध्यक्ष पद पर किसे नियुक्त किया जाए।