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नारकोटिक्स ने 300 करोड़ की ड्रग्स पकड़ी, एमडी ड्रग्स बनाने की लैब का किया खुलासा

जोधपुर, जोधपुर ओसिया में गुजरात एटीएस, एनसीबी राजस्थान और राजस्थान पुलिस ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. यहां एमडी ड्रग्स बनाने की लैब्स का खुलासा करते हुए 300 करोड़ की ड्रग्स बरामद की गई है. साथ ही एक आरोपी को हिरासत में लिया गया है. 

नारकोटिक्स ने 300 करोड़ की ड्रग्स पकड़ी, एमडी ड्रग्स बनाने की लैब का किया खुलासा

जोधपुर ओसिया में गुजरात एटीएस, एनसीबी राजस्थान और राजस्थान पुलिस ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. यहां एमडी ड्रग्स बनाने की लैब्स का खुलासा करते हुए 300 करोड़ की ड्रग्स बरामद की गई है. साथ ही एक आरोपी को हिरासत में लिया गया है. 



गुजरात एटीएस, एनसीबी राजस्थान के साथ मिलकर पिछले तीन महीने से ड्रग्स के नेटवर्क को तोड़ने में लगी हुई थीं. इसी कड़ी में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और एटीएस ने मिलकर सिरोही जिले के कैलाश नगर में एक रहवासी इलाके में मादक पदार्थ बनाने की लैब का खुलासा करते हुए दो लोगों को पकड़ा है. लैब में मिले मादक पदार्थ देखकर दोनों टीमें अचंभित रह गई. पूरी लैब में मादक पदार्थ बनाने की प्रोसेसिंग नजर आई. यहां से टीमों को 45 करोड़ का मादक पदार्थ मिला है. पकड़े गए दोनों अभियुक्तों से गहन पड़ताल की जा रही है.

ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर घनश्याम सोनी ने बताया कि एनसीबी जोधपुर- जयपुर मुख्यालय से सूचना मिली कि सिरोही जिले के कैलाश नगर में एक रहवासी इलाके में मादक पदार्थ बनाया जाता है. इस गोपनीय सूचना के बाद एटीएस गुजरात की टीम और एनसीबी नई दिल्ली,जयपुर और जोधपुर ने संयुक्त रूप से कैलाशनगर सिरोही में रेड दी. तब वहां पर एक लैब पाई गई. इस लैब में मादक पदार्थ बनाने की पूरी प्रोसेसिंग की जानकारी हुई.

लैब से 12 किलो मैथ और 60 किलो मैथ लिक्विड मिला. जिसकी बाजार अनुमानित कीमत 45 करोड़ रुपए है. जोनल डायरेक्टर सोनी ने बताया कि वहां से दो शख्स सिरोही जिले के कैलाश नगर लोटिनाडा बेडा निवासी रागाराम पुत्र नरसाराम एवं सांचोर जिले के झाब थानान्तर्गत लिद्रा निवासी बजरंग विश्रोई पुत्र धन्नाराम विश्नोई को पकड़ा गया है.

एमडी ड्रग को बनाने के लिए एम्पेटामाइन दवाई काम आती है. इनके मिश्रण से ड्रग का निर्माण होता है. इस लैब में इसके अलावा अन्य केमिकल भी बरामद हुआ है. जो पूरी प्रोसेसिंग के बाद ड्रग को तैयार किया जाता है. ड्रग तैयार करने के लिए लैब में कई तरह के उपकरण लगे हुए थे. एनसीबी अब यह पता लगाने में जुटी है कि यहां पर कितने समय से काम चल रहा था. संदेह है कि काफी समय से यह लैब लगी हुई थी.