बीएपी का समर्थन मिलने से नरेश मीणा बने कांग्रेस के लिए चुनौती, त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा देवली चुनाव
राजस्थान के देवली विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस नेता नरेश मीणा का निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। पार्टी ने अनुशासनहीनता के चलते उन्हें निलंबित कर दिया है, लेकिन भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के समर्थन से नरेश मीणा अब आदिवासी मतदाताओं को अपनी ओर खींच सकते हैं, जिससे कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं।
राजस्थान के देवली विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेश मीणा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने निलंबन का आदेश जारी किया है, जो पार्टी अनुशासन के प्रति सख्त रुख दर्शाता है।
दरअसल, नरेश मीणा ने देवली सीट से कांग्रेस की टिकट की मांग की थी, जो हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी। हालांकि, कांग्रेस ने कस्तूर मीणा को उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया। टिकट न मिलने के कारण नरेश मीणा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, जिससे देवली में कांग्रेस के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है।
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देवली में चुनावी समीकरणों में बदलाव की संभावना
आदिवासी मतों पर प्रभाव देवली में चुनावी समीकरणों में बदलाव लाने की संभावना को देखते हुए भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने नरेश मीणा को समर्थन देने का फैसला किया है। बीएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन लाल रोत द्वारा जारी समर्थन पत्र के साथ, नरेश को आदिवासी मतदाताओं का समर्थन मिलने की उम्मीद है। इससे कांग्रेस के कस्तूर मीणा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि देवली में आदिवासी मतदाताओं का एक मजबूत आधार है। अब जब नरेश को बीएपी का समर्थन प्राप्त है, तो संभावना है कि वह कांग्रेस के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हो सकते हैं।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच का मुकाबला
त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी कांग्रेस और बीजेपी देवली सीट पर कांग्रेस के कस्तूर मीणा और बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर के बीच मुकाबले में अब नरेश मीणा के निर्दलीय रूप से उतरने से त्रिकोणीय प्रतिस्पर्धा बन गई है। कांग्रेस की ओर से इस चुनौती का सामना करने के लिए सचिन पायलट ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से अनुशासन में रहकर काम करने की अपील की है। पायलट ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी का अनुशासन सर्वोपरि है और सातों उपचुनावों में जीत की उम्मीद है। हालांकि, नरेश मीणा के बगावत से अब देवली सीट का परिणाम अप्रत्याशित हो सकता है।
13 नवंबर को होगा चुनाव
चुनाव परिणाम का इंतजार देवली सहित राजस्थान के सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। आगामी 13 नवम्बर को मतदान होने वाला है, और नतीजे 23 नवम्बर को घोषित किए जाएंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस की इस बगावत से कौन-सी पार्टी को फायदा या नुकसान होता है।