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भगवान महावीर की विशाल रथ यात्रा का आयोजन, एसडीएम हेमराज गुर्जर बने भगवान महावीर के सारथी

जियो और जीने दो के संदेश के साथ वैशाख माह की पड़वा को भगवान महावीर के वार्षिक मेले में परंपरागत भगवान महावीर की रथ यात्रा निकाली गई. शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले भगवान महावीर की रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. हर वर्ष की भांति घोड़ी दौड़ और लाठी नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा. रथ यात्रा में पूरे भारतवर्ष से आए धर्मावलंबियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.

भगवान महावीर की विशाल रथ यात्रा का आयोजन, एसडीएम हेमराज गुर्जर बने भगवान महावीर के सारथी

जियो और जीने दो के संदेश के साथ वैशाख माह की पड़वा को भगवान महावीर के वार्षिक मेले में परंपरागत भगवान महावीर की रथ यात्रा निकाली गई. शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले भगवान महावीर की रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. हर वर्ष की भांति घोड़ी दौड़ और लाठी नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा. रथ यात्रा में पूरे भारतवर्ष से आए धर्मावलंबियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. रथ यात्रा दिगंबर जैन अतिशय मंदिर से शुरू हो कर गंभीर नदी के तट पर पहुंची. वहां आचार्य मुकेश जैन शास्त्री ने मंत्रो के उच्चारण से भगवान महावीर का जलाभिषेक करवाया.

एसडीएम बने सारथी

मंदिर के प्रमुख पुजारी मुकेश जैन शास्त्री के अनुसार इस रथ यात्रा में गुर्जर समुदाय के युवाओं द्वारा घोड़ी दौड़ और लट्ठ उछालने की पुरानी परंपरा है. युवा इस तरह से अपनी भक्ति का प्रदर्शन करते हैं. इस रथ यात्रा में हिंडौन एसडीएम हेमराज गुर्जर, मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल भगवान महावीर के रथ के सारथी बने. इस बार रथ के लिए चार जोड़ी बैल मंगवाए गए थे. मान्यता के अनुसार भगवान महावीर को जमीन से निकलने वाले ग्वाले के परिवार के व्यक्ति का सम्मान किया जाता है और उनके द्वारा रथ को स्पर्श करने के उपरांत यात्रा आगे बढ़ती है.

भगवान महावीर का जलाभिषेक करने के बाद केसरिया वस्त्र पहने रजत मुकुट पहनकर इंद्रो का रूप धारण किए श्रद्धालुओं ने भगवान की मूर्ति को मंदिर से पालकी में लाए और सुसाज्जित रथ में विराजमान किया. मुख्य रथ के आगे गज रथ, धर्म चक्र, भट्टारक जी की पालकी चल रही थी. भगवान महावीर को रिझाने के लिए मीणा समाज के लोग रथ के आगे अपने लोक गीत गाते और नाचते हुए चलते रहे. इसके बाद गुर्जर समाज के लोग मुख्य रथ को खींच कर मंदिर के द्वार तक लेकर आए. उसके बाद मुख्य प्रतिमा को रथ पर विराजमान करने के बाद रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ. इस रथ यात्रा में सर्व समाज अपना सहयोग प्रदान करता है और यह यात्रा अहिंसा का संदेश देती है. बता दें कि भगवान महावीर के मंदिर का निर्माण करीब 350 साल पहले बसवा निवासी सेठ अमर चंद बिलाला ने करवाया था

रिपोर्ट:वैभव शुक्ला