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Punjab Lok Sabha: सुखजिंदर सिंह रंधावा की पंजाब की राजनीति में दोबारा एंट्री, गुरदासपुर से लड़ेंगे चुनाव

Punjab Lok sabha Elections: कांग्रेस ने पंजाब की चार और सीटों से प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। गुरदासपुर से सुखजिंदर सिंह रंधावा और श्री आनंदपुर साहिब से विजय इंदर सिंगला के नाम का ऐलान किया गया है।

Punjab Lok Sabha: सुखजिंदर सिंह रंधावा की पंजाब की राजनीति में दोबारा एंट्री, गुरदासपुर से लड़ेंगे चुनाव
Image Credit: Goggle

Punjab Lok Sabha Election: कांग्रेस ने पंजाब की चार और सीटों से प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। गुरदासपुर से सुखजिंदर सिंह रंधावा और श्री आनंदपुर साहिब से विजय इंदर सिंगला के नाम का ऐलान किया गया है। वहीं, खड़ूर साहिब से कुलबीर सिंह जीरा और लुधियाना से अमरिंदर सिंह बराड़ राजा वड़िंग को उतारा गया है।इससे पहले लोकसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने सभी 13 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया था। लुधियाना से कांग्रेस से पूर्व मंत्री भरत भूषण आशू भी टिकट मांग रहे थे। इस बार लुधियाना से आप ने अशोक पराशर को टिकट दिया है। लुधियाना से पहले एमपी रहे रवनीत बिट्टू भाजपा में जा चुके हैं। वे दो बार यहां से सांसद बने थे। अब बिट्टू भाजपा की ओर से यहां कैंडिडेट बनाए गए हैं। वहीं, गुरदासपुर से सुखजिदंर रंधावा के मैदान में आने पर उनका मुकाबला अकाली दल के विरसा सिंह वल्टोहा से होगा।

कौन हैं सुखजिंदर सिंह रंधावा

पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद जो नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में आया था वो नाम था सुखजिंदर सिंह रंधावा का..काफी दिनों तक ये नाम पंजाब के मुख्यमंत्री के लिए चर्चाओं में रहा। हालांकि फिर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था।कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में तीन बार विधायक रहे रंधावा को कैबिनेट में जेल और कॉपरेशन मंत्री भी बनाया गया था।

सुखजिंदर सिंह रंधावा को विरासत में मिली है राजनीति

यहीं नहीं उन्होंने पंजाब सरकार में मंत्री रहते हुए भी कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ मोर्चा खोला था। इसके अलावा गुरदासपुर के रहने वाले रंधावा पंजाब कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। उनके पिताजी संतोख सिंह दो बार पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजनीति विरासत में मिली है। वो एक ऐसे परिवार से आते है जिनकी तीन पीढियां कांग्रेस में ही रही है।रंधावा ने अपने पिता के साथ रहकर राजनीति की बारीकियां सीखीं है। रंधावा की पहचान एक आक्रामक नेता के तौर पर ही रही है।2015 में गुरू गंथ साहिब की बेअदबी के मामले में पुलिस फायरिंग में मरे 2 युवकों की मौत के मामले में रंधावा ने बादल परिवार के खिलाफ आवाज उठाई थी।