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रणथंभौर किले में हुआ था राजस्थान का पहला जल जौहर

जौहर के किस्सों के बारे में आपने खूब सुना होगा। रानी पदमावती के जौहर के बारे में फिल्म के माध्यम से देश-विदेश तक लोग इसके बारे में जानते हैं। लेकिन इस लेख में हम आपको राजस्थान के पहले जल जौहर की कहानी बता रहे हैं, जिसमें रानियों और राजकुमारियों ने जल में खुद को सर्मिपत करके जौहर किया था। 

रणथंभौर किले में हुआ था राजस्थान का पहला जल जौहर
ranthambore fort

रानी पदमावती के जौहर पर बनी फिल्म के माध्यम से देशभर में लोग जौहर के बारे में जानते हैं। दहकती आग में खुद समर्पित करके आत्म-रक्षण की कहानी आज भी मिशाल है। चित्तौड़ से पहले सवाई माधोपुर शहर के रंणथंभौर नेशनल पार्क के भीतर बना हुआ रणथंभौर किला राजस्थान के पहले जल जौहर की गवाही देता है। जिसमें अलाउद्दीन खिलजी से रक्षा के लिए रानी रंगादेवी ने कई राजकुमारियों और स्त्रियों के साथ जल जौहर किया था।

रणथंभौर का असल नाम

रणथंभौर किले का वास्तविक नाम रंत:पूर है। इसका मतलब रन की घाटी में स्थित नगर होता है, यहां पर रन उस पहाड़ी का नाम है जो किले की पहाड़ी के नीचे स्थित है और थम उस पहाड़ी का नाम है जिस पर किला बना है। इसी कारण इसका नाम रणस्तंभपुर हो गया।

रणथंभौर किले का इतिहास

रणथंभौर किले को चौहान राजाओं ने 10वीं सदी में बनाया था। इस पर 13वीं शताब्दी तक चौहान या चहमानस का शासन था, फिर दिल्ली सल्तनत ने इस पर कब्जा कर लिया। बताया जाता है 1303 मं अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर आक्रमण किया था। 11 महीने के संघर्ष के बाद हार को देखते हुए रानी रंगादेवी समेत कई राजकुमारियों और कई स्त्रियों ने जौहर किया था। इतिहासकार इस राजस्थान का पहला और इकलौता जल जौहर मानते हैं। साल 2013 में यूनेस्को ने विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 36वीं बैठक में रणथंभोर को विश्व धरोहर घोषित किया गया। ये राजस्थान का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।

रणथंभौर की वास्तुकला

इस किले की वास्तुकला का नजारा भी बेहद अद्भुत है। इसके ग्राउंड फ्लोर पर महादेव छत्री, तोरण द्वार और समेटोंकी हवेली जैसी कई देखे जाने वाली चीजें हैं। साथ ही ग्राउंड पर ही मस्जिद और मंदिर दोनों हैं, जो राजपूत राजाओं का सेक्युलर व्यवहार को साफ दिखाता है। यहां भगवान गणेश जी का भी एक मंदिर पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र होता है और किले में भाद्रपद सुदी चतुर्थी के दौरान सालाना एक मेला आयोजित किया जाता है। इसमें स्थानीय लोगों के साथ ही भारी मात्रा में पर्यटक भी पहुंचते हैं। किले के अंदर भगवान सुमतिनाथ जैन मंदिर है, इसमें शिव, गणेश और रामललाजी के लिए तीन प्राचीन हिंदू मंदिरों के साथ-साथ भगवान सम्भवनाथ भी हैं, जो 12 वीं और 13 वीं शताब्दी में प्रसिद्ध लाल करौली पत्थर का उपयोग करके बनाए गए थे।