Rajasthan News: कागजों तक ही सीमित रहे दिशा-निर्देश, प्रशासन के दावे फेल, दिवाली पर आतिशबाजी के बाद प्रदूषण का कहर
प्रशासन ने गंधक-पोटाश वाले पटाखों पर रोक लगाने का दावा किया था, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं दिखा। हवा में उड़ने वाले पटाखों से प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ गया।
दीपावली की धूमधाम के बीच अलवर जिले में आतिशबाजी से प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) की पाबंदियों के बावजूद लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े, जिससे हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई। प्रशासन द्वारा ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल के निर्देश भी हवा में उड़ गए।
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आतिशबाजी से प्रदूषण चरम पर
राजधानी जयपुर में AQI 328 तक पहुंच गया, जबकि भिवाड़ी में ये 302 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। चूरू, दौसा और धौलपुर में भी AQI चिंताजनक स्तर पर रहा। लगातार घंटों आतिशबाजी के कारण सुबह तक भी प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ। इससे सांस के मरीजों और बुजुर्गों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
प्रशासन के दावे फेल
प्रशासन ने गंधक-पोटाश वाले पटाखों पर रोक लगाने का दावा किया था, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं दिखा। हवा में उड़ने वाले पटाखों से प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ गया। अलवर शहर के अलावा भिवाड़ी, टपूकड़ा, शाहजहांपुर और नीमराना जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया।
कागजों तक ही सीमित रहे दिशा-निर्देश
प्रदूषण रोकने के लिए प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देश कागजों तक ही सीमित रह गए। निर्माण कार्य और सड़कों पर धूल को लेकर भी निर्देशों का पालन नहीं हुआ, जिससे प्रदूषण बढ़ता रहा। जिम्मेदार अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रहे।
प्रशासन के दावे फेल
प्रशासन ने आतिशबाजी ज्यादा होने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन ये भी सिर्फ दावे साबित हुए। कुल मिलाकर, दीपावली की रोशनी के पीछे प्रदूषण का एक स्याह पहलू भी सामने आया है।