सोशल मीडिया पर एक दूसरे के विवादों को उछालने में भाजपा और कांग्रेस दोनों जुटे, उपचुनाव पर चल रही कड़ी जंग
सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने सोशल मीडिया पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए प्रचार युद्ध छेड़ दिया है। जहां भाजपा आक्रामक तरीके से डबल इंजन सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को सामने ला रही है, वहीं कांग्रेस स्थानीय मुद्दों और भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाते हुए मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचा रही है।
भारत में चुनावी रण हमेशा से गर्म रहता है, और इस बार सात विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव ने राजनीतिक पार्टियों के लिए सोशल मीडिया को एक अहम हथियार बना दिया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने सोशल मीडिया टीमों को पूरी ताकत के साथ मैदान में उतारा है, ताकि मतदाताओं तक अपनी बात प्रभावी ढंग से पहुंचाई जा सके। जहां भाजपा सोशल मीडिया पर आक्रामक प्रचार कर रही है, वहीं कांग्रेस भी विरोधी दल की कमजोरियों को उजागर करने में पीछे नहीं है।
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BJP ने तैयार की सोशल मीडिया टीम
भाजपा की सोशल मीडिया टीम ने हर सीट पर चुनाव प्रचार को और प्रभावशाली बनाने के लिए विशेषज्ञों और वॉलियंटर्स की एक टीम तैयार की है। इस टीम का उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर डबल इंजन सरकार की योजनाओं, लाभार्थियों से संवाद और प्रमुख मुद्दों पर वीडियो और कंटेंट शेयर करना है। इसके अलावा, विपक्षी नेताओं के विवादित बयानों को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है, ताकि मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके। भाजपा ने 5000 वॉलियंटर्स को सक्रिय कर दिया है, जो चुनावी कंटेंट को फॉरवर्ड कर रहे हैं।
कांग्रेस ने मजबूत की सोशल मीडिया टीम
दूसरी ओर, कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सभी सात सीटों पर विशेषज्ञ टीमों को तैनात किया है। इन टीमों में 8 से 10 लोग शामिल हैं, जो पार्टी के संदेशों को प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और व्हाट्सएप पर साझा कर रहे हैं। कांग्रेस की रणनीति स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए भाजपा की विफलताओं और वादाखिलाफी पर जोर देना है। खासतौर पर, पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं को बंद करने और भाजपा की नीतियों पर आलोचनात्मक कंटेंट तैयार किया जा रहा है।
कांग्रेस ने बनाए तीन श्रेणी में ग्रुप
कांग्रेस ने व्हाट्सएप पर स्थानीय मतदाताओं के लिए तीन श्रेणी में ग्रुप बनाए हैं, जिनमें युवा, महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं, ताकि चुनावी संदेशों को प्रभावी ढंग से पहुंचाया जा सके। सोशल मीडिया पर कंटेंट का रूप और प्रस्तुति भी बदली जा रही है, ताकि यह अधिक आकर्षक और वायरल हो सके।